कस्तूरबा गांधी: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व।
(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर):- कस्तूरबा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की पत्नी और एक सक्रिय सहभागी थीं। उनका जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह एक साधारण परिवार से आई थीं, लेकिन उनके जीवन ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:- कस्तूरबा गांधी का जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गोकुलदास मकनजी कपाड़िया था। वह एक व्यवसायी थे। कस्तूरबा की माता का नाम वृंदा था। वह एक धार्मिक और पारंपरिक महिला थीं।
कस्तूरबा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की। वह एक साधारण छात्रा थीं, लेकिन उन्हें संगीत और कला में रुचि थी।
कस्तूरबा गांधी का विवाह महात्मा गांधी से 13 वर्ष की आयु में हुआ था। वह उनके साथ दक्षिण अफ्रीका गईं, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
कस्तूरबा गांधी और महात्मा गांधी के चार पुत्र थे: हरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:- कस्तूरबा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। वह महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में शामिल हुईं, जिनमें असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल हैं।
उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं और उनकी गतिविधियों ने भारतीय महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
कस्तूरबा गांधी का निधन 22 फरवरी 1944 को पुणे के आगा खान पैलेस में हुआ था। वह महात्मा गांधी के साथ नजरबंद थीं, जब उन्हें हृदयाघात हुआ।
कस्तूरबा गांधी की विरासत आज भी जीवित है। वह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं और उनकी गतिविधियों ने भारतीय महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
उनकी याद में कई संस्थान और संगठन स्थापित किए गए हैं। कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक निधि की स्थापना 1944 में की गई थी, जिसका उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए काम करना है।
कस्तूरबा गांधी एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थीं जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी गतिविधियों ने भारतीय महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी विरासत आज भी जीवित है।त्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। वही केदारनाथ से पूर्व दिवंगत विधायिका शैला रानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत ने कहा की उनकी मां अपने क्षेत्र में महिलाओं के उत्थान की ओर विशेष ध्यान रखती थी उन्होंने कहा कि 3 साल पूर्व कार्यभार ग्रहण करने के बाद जब केदारनाथ यात्रा शुरू हुई तो उन्होंने केदारनाथ मार्ग पर महिलाओं के उत्थान के लिए महिलाओं से जगह-जगह टेंट लगवाया साथ ही साथ नींबू पानी और अन्य दुकान लगवा कर उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाया आगे उन्होंने कहा कि इस प्रकार से लगातार 2 से 3 साल उनकी माताजी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम कर रही थी जिससे प्रत्येक साल यात्रा समाप्त होने तक महिलाएं लाखों रुपए कमा लेती थी।