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चमोली में हर्षोल्लास से मनाया गया शौर्य दिवस।
चमोली :- शौर्य एवं पराक्रम का उत्सव ‘‘कारगिल विजय दिवस’’ जनपद में हर्षोल्लास से मनाया गया। जिला पंचायत परिसर में मुख्य अतिथि विमला देवी धर्म पत्नी शहीद नायक कृपाल सिंह, जिलाधिकारी हिमांशु खुराना समेत जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल (से.नि.) सुबोध शुक्ल, अन्य अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं गणमान्य नागरिकों ने कारगिल शहीदों के चित्रों पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। पुलिस एवं एनसीसी जवानों ने शहीदों को सलामी दी। ब्लॉक स्तरों पर भी शौर्य दिवस पर पौधरोपण सहित विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। कारगिल युद्ध में देश के 527 जाबांजों ने अपने सर्वोच्च बलिदान दिया। जिसमें उत्तराखंड राज्य के 75 और चमोली जनपद के 11 जवानों शामिल थे।
शौर्य दिवस पर जिला पंचायत में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने कारगिल शहीद नायक कृपाल सिंह की पत्नी विमला देवी, शहीद राइफल मैन सतीश चन्द्र के पिता महेशा नंद, शहीद नायक दिलबर सिंह की भाभी संगीता देवी, शहीद हवलदार रणजीत सिंह के पुत्र वीरेंद्र सिंह, शहीद राइफल मैन अमित नेगी के चाचा बलवंत सिंह, शहीद नायक आनंद सिंह के भाई खुशाल सिंह को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। शौर्य दिवस पर अन्य वीर नारियों और उनके परिजन शांति राणा, कुसुम लता, शकुंतला देवी, कमला देवी, पार्वती देवी, जयंती देवी, कमला देवी, सरिता देवी और सुलोचना देवी को भी शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने देश के अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने सभी को सैनिकों के अदम्य साहस एवं शौर्य गाथाओं से प्रेरणा लेने की बात कही।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल (से.नि.) सुबोध शुक्ल ने कारगिल शहीदों के सम्मान में उनकी वीरगाथा एवं जीवनी पर प्रकाश डाला। कहा कि जम्मू कश्मीर के दुर्गम क्षेत्र कारगिल में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों व सैनिकों को 26 जुलाई 1999 को भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए मार भगाया। इस ऑपरेशन विजय में चमोली जनपद के 11 सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
समारोह में स्थानीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति गीतों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। वही कारगिल दिवस की पूर्व संध्या पर संपन्न वॉलीबॉल प्रतियोगिता की विजेता जीआईसी ‘ए’ गोपेश्वर तथा उपविजेता गौचर टीम के खिलाड़ियों को ट्रॉफी और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक सैनिक कल्याण अधिकारी सुबेदार मेजर (से.नि.) कलम सिंह झिंक्वाण द्वारा किया गया।