ऋषिकेश:- भाजपा जिला कार्यालय में जिला अध्यक्ष रविन्द्र राणा की अध्यक्षता में हुआ कार्यक्रम आयोजित। WWW.JANSWAR.COM

Arunabh raturi.janswar.com

ऋषिकेश: पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे युगदृष्टा थे, जिनके विचारों व सिद्धांतों ने देश को एक प्रगतिशील विचारधारा देने का काम किया : अनिता ममगाई।

निवर्तमान महापौर अनिता ममगाईं ने दी श्रद्धांजली, बोली पंडित जी के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी।

ऋषिकेश : जनसंघ के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष रहे और एकात्म मानववाद के प्रवर्तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर बुधवार को भाजपा जिला कार्यालय में जिला अध्यक्ष रविन्द्र राणा की अध्यक्षता में श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए। इस मौके पर ऋषिकेश की निवर्तमान महापौर अनिता ममगाईं ने अपने संबोधन में कहा, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अन्तोदय की जो भावाना थी, वे चाहते थे अंतिम छोर तक के ब्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचे। उनके सपनों को आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरा कर रहे हैं। आज पार्टी रुपी पौधा रोपा था। आज विशाल वट वृक्ष का रूप ले चुका है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अनुसार पार्टी के नए सदस्य बनते हैं। आज लोग बड़े उत्साह से बूथ स्तर पर खुद आ कर भारतीय जनता पार्टी के विचारधारा से प्रभावित हो कर पार्टी में शामिल हो रहे हैं। उनके विचार थे उन विचारों को आगे बढाते हुए उनको सच्ची श्रद्धांजली है। क्यूंकि उनके विचारों को आज हर वयक्ति ग्रहण कर रहा है। एकात्म मानववाद के प्रवर्तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय को नमन करते हुए उन्होंने कहा पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे युगदृष्टा थे, जिनके विचारों व सिद्धांतों ने देश को एक प्रगतिशील विचारधारा देने का काम किया” कार्यक्रम का संचालन दीपक धमीजा ने किया। इस दौरान पूर्व राज्य मंत्री संदीप गुप्ता, जीतेन्द्र अग्रवाल, संजय शास्त्री, प्रकांत कुमार, राजपाल ठाकुर, दीनदयाल राजभ समेत कई भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजदू रहे.

आपको बता दें, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ( जन्म: 25 सितम्बर 1916–11 फरवरी 1968) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उन्होंने हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुएl