जन सहयोग न मिला तो लावारिश गो वंश की रक्षा करना कठिन हो जाएगा।
वर्तमान समय में शहरों की तरह पर्वतीय क्षेत्रों में गौवंश का संरक्षण और देखभाल एक चुनौतीपूर्ण कार्य बनता जा रहा है। शहरों में सड़कों पर गौवंश बदहाल हालत में घूमता देखा जा सकता है। पहाड़ों में स्थिति अलग तरह की है यहां लावारिस गौवंश अधिकतर बाघ(तेंदुआ) का निवाला बन जाते हैं। समाज के कुछ संवेदनशील लोगों द्वारा संस्थागत तथा व्यक्तिगत स्तर पर इन गौवंश की देखभाल का पुनीत कार्य किया जा रहा है। ऐसी ही एक संस्था डांडामंडल क्राफ्ट एसोसिएशन किमसार, यमकेश्वर, पौड़ी गढवाल के संस्थापक श्री गिरीश कंडवाल के द्वारा भी संस्था के माध्यम से गौवंश के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण योगदान किया जा रहा है। इनकी गौशाला में आस पास के काफी विस्तृत क्षेत्र से गौवंश को छोड़ दिया जाता है जिनकी देखभाल यहां पर बहुत श्रद्धा के साथ की जाती है। वर्तमान में यहां पचास से अधिक गौवंश हैं। हर वर्ष बहुत सी गायें बच्चा जनती हैं और दूध देन लगती हैं। ऐसी गायें आस पास के गांव वालों को निशुल्क दे दी जाती हैं और अधिकांश उसके बाद पुनः वापस आ जाती हैं। एक समय यहां पर गायों की संख्या नब्बे से भी अधिक हो गई थी। उत्तराखंड सतरुद्रा ट्रस्ट ने निर्णय लिया था कि ऐसा कार्य करने वाली संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाय। यह गौशाला जब शतरुद्रा ट्रस्ट के संज्ञान में आई तो उन्होंने इसकी पूरी जानकारी जुटाई गई और निर्णय लिया कि उक्त गौशाला को पूरे वर्ष ₹ 10000/ सहयोग राशि एवं प्रथम किश्त के रूप में ₹5000/ की धनराशि प्रदान की गयी है।
प्रदेश के अन्य सामाजिक संगठनों,ट्रस्टों को ऐसी संस्थाओं की सहायता के लिए आगे आना चाहिए। जो दयालु व गौभक्त व्यक्ति इस पुनीत कार्य में सहयोग करना चाहता है वह अपनी श्रद्धानुसार सहयोग कर सकता है। वे इस गौशाला के संस्थापक श्री गिरीश चन्द्र कंडवाल के मो.नं. +919897864228 पर उनसे संपर्क कर सकता है।
◼️यह संस्था आयकर अधिनियम की धारा 12A एवं 80G के अंतर्गत मान्यता प्राप्त संस्था हैं अतः दान की गई राशि पर नियमानुसार कर छूट प्राप्त है
(साभार शतरुद्रा ट्रस्ट)