भूमि कटाव के कारण सुरक्षा के कारण प्रशासन ने राम झूला में आवागमन किया बंद।
ऋषिकेश। बृहस्पतिवार को शिवानन्द झूला जिसे राम के नाम से जाना जाता है आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है। इससे पहले गंगा नदी के दूसरी ओर आने जाने के लिए लक्ष्मण झूला पुल को पहले ही बंद किया जा चुका है।
ऋषिकेश से गंगा के पार पूर्वी छोर पर बसे लक्ष्मणझूला व स्वर्गाश्रम याने नगर पंचायत जोंक को जोड़ने के लिए गंगा में तीन झूला पुल,तथा दो पक्के पुल बने हुए हैं पक्के पुलों (बैराज व गरुड़ चट्टी पुल दोनों पुलों के मध्य की दूरी लगभग 18 किमी है।) से लक्ष्मणझूला व स्वर्गाश्रम की दूरी लगभग 15 किमी पड़ जाती है जब कि झूला पुलों (लक्ष्मणझूला,शिवानन्द झूला जिसे जनमानस राम झूला कहता है तथा जानकी झूला।) से अधिकतम चार पांच किमी.पड़ती है। जानकी झूला अभी तीन साल से ही आवागमन के लिए तैयार हुआ है यह मुनि की रेती के पूर्णानन्द विद्यालय और वानप्रस्थ आश्रम के बीच बना है।राम झूला मुनि की रेती के शिवानन्द आश्रम व स्वर्गाश्रम के बीच तथा लक्ष्मण झूला तपोवन व लक्ष्मणझूला के बीच बना है।
ये तीनों झूलापुल ऋषिकेश-मुनिकीरेती-स्वर्गाश्रम की जीवन रेखा रहे हैं।इनमें लक्ष्मणझूला पुल को तीन चार वर्ष पूर्व उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश पर बन्द कर दिया गया था।
इस वर्ष हुई बरसात के कारण गंगा नदी का जल स्तर काफी बढ़ गया है जिससे राम झूला पुल के नीचे लगभग 30मीटर भूमि कटाव होने के कारण बृहस्पतिवार से राम झूला को भी बंद कर दिया गया है।अब यात्रियों को जानकी पुल से भेजा जा रहा है।
मुनि की रेती थाना प्रभारी रितेश शाह ने बताया कि लोक निर्माण विभाग की टीम ने राम झूला पुल का पुस्ता क्षतिग्रस्त होने, नदी के बढ़ते जलस्तर और भूकटाव के चलते पुल क्षतिग्रस्त होने की सूचना दी। प्रशासन की ओर से सावधानी बरतते हुए पुल पर आवाजाही अग्रिम आदेश तक बंद कर दी गई है।
गौर रहे कि शिवानंद आश्रम के पास काली चट्टान पर
राम झूला पुल का निर्माण 5 अप्रैल 1986 को पूरा हो पाया। पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश शासकीय निर्माण विभाग ने1.02 करोड़ की लागत से एक वर्ष में किया था।
शिवानंद आश्रम के निकट होने के कारण इस पुल का नाम शिवानंद झूला रखा गया था, जो बाद में धीरे धीरे राम झूला के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 220.4 मीटर लंबाई तथा 02 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल के टावर की ऊंचाई 21 मीटर है, जो 44 मिमी व्यास के 24 रस्सों पर टिका हुआ है।
इधर, इससे पहले ही राम झूला से 2किलोमीटर आगे बने लक्ष्मण झूला को 13 जुलाई 2019 को सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट के बाद आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। अब यहां बजरंग सेतु का निर्माण जारी है।
ऋषिकेश। बृहस्पतिवार को शिवानन्द झूला जिसे राम के नाम से जाना जाता है आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है। इससे पहले गंगा नदी के दूसरी ओर आने जाने के लिए लक्ष्मण झूला पुल को पहले ही बंद किया जा चुका है।
ऋषिकेश से गंगा के पार पूर्वी छोर पर बसे लक्ष्मणझूला व स्वर्गाश्रम याने नगर पंचायत जोंक को जोड़ने के लिए गंगा में तीन झूला पुल,तथा दो पक्के पुल बने हुए हैं पक्के पुलों (बैराज व गरुड़ चट्टी पुल दोनों पुलों के मध्य की दूरी लगभग 18 किमी है।) से लक्ष्मणझूला व स्वर्गाश्रम की दूरी लगभग 15 किमी पड़ जाती है जब कि झूला पुलों (लक्ष्मणझूला,शिवानन्द झूला जिसे जनमानस राम झूला कहता है तथा जानकी झूला।) से अधिकतम चार पांच किमी.पड़ती है। जानकी झूला अभी तीन साल से ही आवागमन के लिए तैयार हुआ है यह मुनि की रेती के पूर्णानन्द विद्यालय और वानप्रस्थ आश्रम के बीच बना है।राम झूला मुनि की रेती के शिवानन्द आश्रम व स्वर्गाश्रम के बीच तथा लक्ष्मण झूला तपोवन व लक्ष्मणझूला के बीच बना है।
ये तीनों झूलापुल ऋषिकेश-मुनिकीरेती-स्वर्गाश्रम की जीवन रेखा रहे हैं।इनमें लक्ष्मणझूला पुल को तीन चार वर्ष पूर्व उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश पर बन्द कर दिया गया था।
इस वर्ष हुई बरसात के कारण गंगा नदी का जल स्तर काफी बढ़ गया है जिससे राम झूला पुल के नीचे लगभग 30मीटर भूमि कटाव होने के कारण बृहस्पतिवार से राम झूला को भी बंद कर दिया गया है।अब यात्रियों को जानकी पुल से भेजा जा रहा है।
मुनि की रेती थाना प्रभारी रितेश शाह ने बताया कि लोक निर्माण विभाग की टीम ने राम झूला पुल का पुस्ता क्षतिग्रस्त होने, नदी के बढ़ते जलस्तर और भूकटाव के चलते पुल क्षतिग्रस्त होने की सूचना दी। प्रशासन की ओर से सावधानी बरतते हुए पुल पर आवाजाही अग्रिम आदेश तक बंद कर दी गई है।
गौर रहे कि शिवानंद आश्रम के पास काली चट्टान पर
राम झूला पुल का निर्माण 5 अप्रैल 1986 को पूरा हो पाया। पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश शासकीय निर्माण विभाग ने1.02 करोड़ की लागत से एक वर्ष में किया था।
शिवानंद आश्रम के निकट होने के कारण इस पुल का नाम शिवानंद झूला रखा गया था, जो बाद में धीरे धीरे राम झूला के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 220.4 मीटर लंबाई तथा 02 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल के टावर की ऊंचाई 21 मीटर है, जो 44 मिमी व्यास के 24 रस्सों पर टिका हुआ है।
इधर, इससे पहले ही राम झूला से 2किलोमीटर आगे बने लक्ष्मण झूला को 13 जुलाई 2019 को सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट के बाद आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था। अब यहां बजरंग सेतु का निर्माण जारी है।