राज्यपाल ने वन्यजीव सप्ताह 2022 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में किया प्रतिभाग। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री की वर्चुअल बैठक में भाग लिया। www.Janswar.com

 अरुणाभ रतूड़ी 

राज्यपाल ने वन्यजीव सप्ताह 2022 कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में किया प्रतिभाग

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राजभवन में आयोजित वन्यजीव सप्ताह-2022 कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। उन्होंने इस अवसर पर वन एवं वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों और अन्य लोगों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान राज्यपाल ने तीन विभागीय लघु फिल्मों जिनमें गर्तांग गली ट्रैक, सिक्योर हिमालया और फुट सोल्जर का भी अनावरण किया। वन्यजीव सप्ताह के अवसर पर राजभवन में दून आर्ट काउंसिल और राजाजी नेशनल पार्क के संयुक्त प्रयासों से बाघ संरक्षण एवं जागरूकता के लिए लगी ‘‘फियरलैस बाघ’’ फोटो प्रदर्शनी का भी राज्यपाल ने अवलोकन कर प्रदर्शनी में लगाए गए चित्रों की प्रशंसा की।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ-साथ वन भूमि भी है। उत्तराखण्ड को प्रकृति की नैसर्गिंक सुन्दरता की अनुपम देन प्राप्त जिसका संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार प्रकृति आधारित पर्यटन है। वनों पर काफी कुछ निर्भर है। उन्होंने कहा कि देवभूमि की जैविक विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए। इस जैव विविधता को बचाए रखने की हम सबकी जिम्मेदारी है।

राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने वनों की प्राकृतिक स्वरूप को बचाने के साथ-साथ ऐसी सुविधाएं विकसित करनी होगी जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिले और स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़े। उन्होंने कहा कि हमारे सम्मुख वन्यजीव संघर्ष और वनाग्नि जैसी चुनौतियां है जिससे हमें निपटने के लिए ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए इन चुनौतियों के समाधान खाजने होंगे।

राज्यपाल ने कहा कि युवाओं को वन संरक्षण और जैव विविधता के प्रति जागरूक किया जाना बहुत जरूरी है, जिससे वे इनका महत्व समझ सकें। वन आधारित पर्यटन में यहां अपार सम्भावनाएं हैं इसका हमें सदुपयोग करना होगा। उन्होंने अधिकारियों से जनपदों में नए वन आधारित पर्यटन स्थल विकसित करने को कहा। राज्यपाल ने कहा कि वन विभाग के कर्मी विपरीत परिस्थितियों में चुनौतियों के साथ बड़ी सेवा कर रहे है जिसके लिए वह प्रशंसा के पात्र है।

कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखण्ड की अलौकिक सुंदरता के साथ-साथ यहां पर प्रकृति अपने अलौकिक रूप में है। उत्तराखण्ड में तेजी से वनों के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। यहां आर्थिक संसाधन बहुत अधिक वनों पर निर्भर है। हमें वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास देने होंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारा दायित्व है कि हम वनों के संरक्षण में देश और दुनिया का नेतृत्व करें।

कार्यक्रम में सांसद टिहरी गढ़वाल माला राज्यलक्ष्मी शाह ने कहा कि हमें अपनी जैव विविधता पर गर्व होना चाहिए। इसे बचाने की हम सभी की जिम्मेदारी है। इस कार्यक्रम में प्रमुख वन सरंक्षक(वन्यजीव) समीर सिन्हा ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी और उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव वन डॉ आर.के.सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार के अलावा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण और कई लोग उपस्थित रहे।

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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार श्री अमित शाह की अध्यक्षता में प्राकृतिक कृषि एवं डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन से सम्बंधित कार्यक्रम पर आयोजित बैठक में नैनीताल क्लब से वर्चुअल प्रतिभाग किया। बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कृषि मंत्रियों द्वारा वर्चुअल प्रतिभाग किया गया।
नैनीताल से वर्चुअल कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि प्राकृतिक कृषि से जुड़ी संभावनाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से  आज जैविक मंथन किया जा रहा है। इस मंथन से एक ऐसा अमृत प्राप्त होगा जो जैविक कृषि के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से परम्परागत कृषि के लिए एक उपयुक्त राज्य है। उत्तराखण्ड जैव विविधताओं वाला प्रदेश है। जैव विविधता के कारण उत्तराखण्ड में जड़ी-बूटी और सुगन्धित पौध आदि के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं जिसपर राज्य सरकार द्वारा कार्य किया जा रहा है व अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसान पर्वतीय अंचल में प्रचलित परम्परागत कृषि में आधुनिक तकनीकी ज्ञान का समावेश कर भूमि की उत्पादकता और फसलों के उत्पादन में वृद्धि ला रहे हैं। किसानों के इन प्रयासों को सरकार के स्तर से थोड़ा और बल दिए जाने पर किसानों की आय और उनके जीवन स्तर में अभूतपूर्व परिवर्तन लाया जा सकता है। राज्य सरकार की कोशिश है कि जैविक कृषि करने वाले किसानों के लिए व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ाया जाए ताकि अधिक से अधिक किसान जैविक कृषि को अपनाकर अपनी आर्थिकी सशक्त करें।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर धामी ने कहा कि प्रदेश की कुल कृषि योग्य भूमि में से 2.17 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल को जैविक कृषि के अंतर्गत आच्छादित किया गया है और यह क्षेत्रफल कुल कृषि भूमि का 34 प्रतिशत है।“आत्म निर्भर प्राकृतिक किसान योजना“ के तहत राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 10 करोड़ की प्राविधान किया गया है। इसके अतिरिक्त 5 करोड़ रुपए से प्राकृतिक कृषि नमामि गंगा कॉरिडोर शुरू कर रहा है। इस योजना से गंगा तट पर 5 किमी की परिधि में प्राकृतिक कृषि के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा। हमने प्राकृतिक कृषि उत्पाद की मार्केटिंग के लिए 2 डेडिकेटेड एफ.पी.ओ का गठन कर रहा है। यह सहकारिता विभाग द्वारा किया जायेगा। इसके साथ ही प्राकृतिक खेती के सभी पहलुओं को बढ़ावा देने के लिए “आत्म निर्भर प्राकृतिक किसान बोर्ड“ का गठन किया जा रहा है। बेहतर उत्पादन के लिए “गोवर्धन“ की योजना को “प्राकृतिक कृषि योजना“के साथ एकीकृत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक कृषि पाठ्यक्रम भी शुरू किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक कृषि बढ़ावा देने के लिए राज्य के सभी जनपदों में किसानों को प्राकृतिक कृषि विषयक प्रशिक्षण कराया गया है। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए विशेष कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जा रहा  है। उन्हें जैविक कृषि को लेकर बनी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग बढ़ रही है। राज्य सरकार का प्रयास है कि इसका अधिक से अधिक लाभ राज्य के किसानों को मिले।
इस अवसर पर विधायक श्रीमती सरिता आर्य, श्री राम सिंह कैडा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती बेला तोलिया, जिला अध्यक्ष श्री प्रदीप बिष्ट, सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, डीआईजी कुमाऊं श्री नीलेश आनन्द भरणे,जिलाधिकारी श्री धीराज सिंह गर्ब्याल,एसएसपी श्री पंकज भट्ट, मुख्य विकास अधिकारी डॉ0 संदीप तिवारी,अपर जिलाधिकारी श्री अशोक जोशी, श्री शिवचरण द्विवेदी के अलावा मंडल अध्यक्ष, सभासद, अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी उपस्थित थे।