राज्यपाल हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र गढी कैंट में आयोजित लोकनृत्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने रविवार को हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र, गढ़ी कैंट में आयोजित उत्तराखण्ड लोक नृत्य सांस्कृतिक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर राज्यपाल ने जौनसारी हारूल गीत ‘‘हनोल सेवा’’ के पोस्टर का विमोचन किया। लोकगायक मीना राणा, अत्तर शाह, नरेश बादशाह और सुरेन्द्र वर्मा के सुरों में इस हारूल में प्रभु पंवार और मास्टर करन ने संगीत दिया है।
सांस्कृतिक उत्सव में स्थानीय लोकगायकों एवं कलाकारों द्वारा अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी र्गइं। लोक कलाकारों द्वारा उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति और लोकनृत्य पर आधारित प्रस्तुतियों ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में लोकगायक मीना राणा, अत्तर शाह, हेमा करासी आदि ने अपने गायन से समा बांध लिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत लोक कला पूरे विश्व में एक अलग स्थान रखती है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व है। उन्होंने कहा कि पौराणिक काल से ही यहां की लोक संस्कृति लोगों को जीने की राह दिखाती है। यहां के मेले, त्यौहार और यहां की परंपराएं बिल्कुल अलग हैं जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ती हैं।
राज्यपाल ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए अपने आने वाली पीढ़ी के लिए संजोकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी समृद्ध संस्कृति का प्रचार-प्रसार पूरे विश्व में किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने इस आयोजन में अपनी प्रस्तुतियां देने वाले सभी कलाकारों की प्रदर्शन के लिए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और उनका हौंसला बढ़ाया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड के गौरवमयी लोक परंम्पारिक एवं पौराणिक अध्यात्मिक लोक सांस्कृतिक विरासत भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अलग है। अनादि काल से उत्तराखण्ड की भूमि, भारतीय दर्शन, चिंतन, मनन, अध्यात्म, साधना एवं संस्कृति का केन्द्र रही है। यहां की साहित्य कला एवं संस्कृति ने वर्षों से भारतीय संस्कृति को परिष्कृत किया है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री ने संस्कृति विभाग द्वारा सांस्कृतिक कलाकारों के प्रोत्साहन हेतु चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अमृता रावत, विधायक श्रीमती सविता कपूर, सचिव संस्कृति हरीश चन्द्र सेमवाल सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत का 136वां जन्मदिवस अल्मोड़ा में धूमधाम से मनाया गया।
भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी के 136वें जन्मदिवस एवं गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी- कटारमल, अल्मोङा के स्थापना शदिवस समारोह का शुभारम्भ सांसद अजय टम्टा एवं कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथियों द्वारा पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्थान के निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल ने सभी अतिथियों को विषम परिस्थितियों के बावजूद भी इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता हेतु सबका स्वागत करते हुए संस्थान की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। पर्यावरण मंत्री और सचिव पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के शुभकामना सन्देश से भी सबको अवगत कराया।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० जे०सी० कुनियाल ने 29वें पं. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान के वक्ता प्रोफेसर मोहम्मद लतीफ खान, वरिष्ठ प्रोफेसर, डा. हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय, सागर, मध्य-प्रदेश का परिचय देते हुए उनके शोध कार्यों का जीवनवृत्त दिया।
प्रोफेसर मोहम्मद लतीफ खान ने आवाजों और दृष्टिकोणों का समावेश׃ जंगलों में जलवायु लचीलेपन के लिए समुदायों को सशक्त बनाना विषय पर संस्थान का 29वां पं. गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान में उन्होंने भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन से निपटने की क्षमता से सबको अवगत कराया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में सांसद एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अजय टम्टा ने संस्थान द्वारा चलाये जा रहे आजीविका वर्धन में सहायक तथा शोध कार्यों की प्रशंसा की तथा कहा कि पं. गोविन्द बल्लभ पन्त द्वारा देश, समाज व मानव कल्याण के लिए किये गये कार्यों को हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा इस क्षेत्र की नदियाँ ग्लेशियरो पर निर्भर नहीं हैं अतः कोसी नदी, गरुड़ गंगा और रामगंगा को अगर पिण्डारी से जोड़ा जाय तो सभी नदियों को समुचित पानी मिलता रहेगा।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर आर.के. मैखुरी, प्रोफेसर हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय ने संस्थान के द्वारा चलाये जा रहे उत्कृष्ठ शोध और विकास कार्यो की सराहना की।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री ए. के. नौटियाल, संयुक्त सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने संस्थान को उसके विकासात्मक कार्यों हेतु अग्रिम शुभकामनाऐं प्रेषित की और भविष्य में भी इसके सकारात्मक परिणामों की उम्मीद जताई।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री शेखर घिमिरे, निदेशक प्रशासन, इसीमोड़, काठमाण्डू ने बताया कि इसीमोड़ आठ देशों के सानिध्य में हिमालय पर शोध और विकास कर रहा है जिसमें भारत की तरफ से गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान की भूमिका मुख्य है।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रो. एस.पी. सिंह, पूर्व कुलपति, हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल विश्वविद्यालय ने संस्थान के विकास कार्यों की सराहना की और कहा कि हिमालय पर कार्य करने में संस्थान ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक काफी उत्कर्ष कार्य किये।
इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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अल्मोड़ा जनपद में वर्षा लोगों की परेशानी का कारण बन गयी
अल्मोड़ा :(अशोक कुमार पाण्डेय)- पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। बारिश के कारण जहां जिले में कई मार्ग आवाजाही के लिए पूरी तरह बंद हो गए हैं। वहीं अनेक स्थानों पर नदी नाले भी उफान पर हैं। अल्मोड़ा जिले में शनिवार के शुरू बारिश का सिलसिला रविवार को भी जारी रहा। रविवार को अल्मोड़ा में दिन भर बारिश होने के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त रहा। लोग जरूरी काम से ही घरों से बाहर निकले। बाजारों में भी कोई खास रौनक देखने को नहीं मिली। बारिश के कारण जिले के पैंसिया-पीपना, भतरौंजखान- मछोड़, डोटियाल-सराईखेत, अल्मोड़ा- घाट, भनोली- सिमलखेत, पातलीबगड़- बरसीमी, जैंती पीपली समेत अन्य अनेक मार्गों पर जगह जगह जबर्दस्त भूस्खलन हुआ। जिससे इन क्षेत्रों में वाहनों की आवाजाही भी ठप रही। रामनगर डोटियाल हाइवे पर धनगड़ी और भखराकोट गधेरे बारिश के कारण उफान पर आ गए। जिस कारण वाहनों की आवाजाही इस मार्ग पर भी बंद रही। इस मार्ग पर करीब पांच घंटे जाम लगा रहा। यात्री तेज बारिश के बीच वाहनों में बैठे मार्ग खुलने का इंतजार करते रहे। जिला मुख्यालय पर बरसाती पानी की निकासी की ठोस व्यवस्था ना होने के कारण कई जगहों पर जल भराव की समस्या भी पैदा हो गई है। बाजारों में जगह जगह रास्ते और गलियां तलैया में तब्दील हो गई हैं। जिस कारण लोगों को इधर उधर जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इधर अल्मोड़ा पिथौरागढ़ हाइवे पर घाट के पास बारिश के कारण भारी भूस्खलन हो गया है। जिससे अल्मोड़ा पिथौरागढ़ का संपर्क एक दूसरे से कट गया है। मार्ग बंद होने के कारण यहां जाम लगा हुआ है और आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो बंद सड़कों को खोलने के लिए मौके पर जेसीबी मशीनें भेजी गई हैं। लेकिन लगातार बारिश के कारण मार्गों को खोलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।