-अरुणाभ रतूड़ी
राष्ट्रपति ने की प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की।
शुक्रवार को माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की। जिसके अन्तर्गत ‘नि-क्षय 2.0’ पोर्टल को शुरू किया गया। इस अभियान के अन्तर्गत भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया। इस अभियान के शुभारंभ के अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) भी वर्चुअल रूप में उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि ‘नि-क्षय 2.0’ का उद्देश्य टीबी मुक्त भारत के लिए जन भागीदारी बढ़ाना है। उन्होंने सभी राज्यपालों/उपराज्यपालों से कहा कि स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य संस्थाओं, एन.जी.ओ व अन्य स्टेक होल्डर के साथ मिलकर इस अभियान को एक जन आंदोलन के रूप में बढ़ाया जाय। उन्होंने कहा कि विश्व में टीबी के कुल रोगियों की संख्या कुल 25 प्रतिशत से अधिक भारत में है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है इसके लिए सभी लोगों को मिलकर कार्य करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस अभियान को जन आंदोलन का रूप देने के लिए लोगों में टीबी के बारे में जागरूकता पैदा करनी होगी। उन्हें यह बताना होगा कि इस बीमारी की रोकथाम और कारगर इलाज संभव है। सरकार द्वारा इस बीमारी का इलाज निःशुल्क किया जाता है । हमें लोगों को बीमारी से निपटने के उपाय बताने होंगे।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य के प्राप्त करने के लिए पोषण संबंधी सहायता, जीवन-यापन जैसे निर्धारकों में सहयोग हेतु बहुक्षेत्रीय भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत नि-क्षय मित्र द्वारा टीबी रोगियों को उपचार अवधि में अतिरिक्त पोषण, जांच एवं उपचार आदि में सहयोग दिया जाएगा।
इस अवसर पर सचिव श्री राज्यपाल डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, सचिव (प्रभारी) स्वास्थ्य डॉ. आर.राजेश कुमार, अपर सचिव श्री राज्यपाल श्रीमती स्वाति एस.भदौरिया, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. शैलजा भट्ट, निदेशक एन.एच.एम डॉ. सरोज नैथानी, राज्य क्षय निवारण अधिकारी डॉ. एस.के.झा, कार्यक्रम अधिकारी टीबी डॉ. पंकज सिंह, टीबी एसोसिएशन उत्तराखण्ड की सचिव पूनम किमोठी और समस्त जिलों से मुख्य चिकित्साधिकारी आदि उपस्थित रहे।
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राजभवन में शुक्रवार को पिथौरागढ़ जिला प्रशासन एवं स्वयं सहायता समूह द्वारा बेडू के उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी गई। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि बेडू के उत्पादों को लोकल से ग्लोबल तक पहुंचाने के प्रयास करने होंगे इसके लिए उत्पादों की पैकेजिंग व ब्रांडिग के लिए कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्पादों की पैकेजिंग को विश्व स्तरीय बनाने के प्रयास करने होंगे जिससे इसकी देश-विदेश में मांग बढ़ सके। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने मन की बात में जिला प्रशासन पिथौरागढ़ द्वारा बेडू के उत्पादों का जिक्र किया जा सभी के लिए गर्व की बात है।
राज्यपाल ने कहा कि बेडू के उत्पादों को कॉपरेटिव(सहकारिता) से कॉरपोरेट(संगठित उद्योग) की ओर ले जाना होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने के लिए पैकेजिंग, प्रोसेसिंग(प्रसंस्करण), लैब(प्रयोगशाला) और सप्लाई चेन(वितरण श्रृंखला) पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने जिला प्रशासन की इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि रोजगार बढ़ाने की दिशा में यह कारगर पहल है। जहाँ इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे वहीं इससे आर्थिकी में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि उत्पादों की गुणवत्ता परीक्षण हेतु पिथौरागढ़ में एक लैब भी तैयार की जाए। उन्होंने जिलाधिकारी से इसे पायलेट प्रोजैक्ट के रुप में लेते हुए रोड मैप तैयार करने को कहा। बेडू उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक फल है जिसे अंजीर भी कहते हैं। स्थानीय प्रशासन की पहल पर इस फल को विश्व स्तर पर खास पहचान मिलने जा रही है। डीएम पिथौरागढ़ डा. आशीष चौहान की पहल पर सुदर्शन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बेडू से जैम, स्क्वैश, चटनी, जूस आदि उत्पाद बनाये जा रहे हैं।
डीएम डा. आशीष चौहान ने बताया कि इस वर्ष 500 किलो बेडू के उत्पाद तैयार किये गए जिसे अगले वर्ष इसे 250 से 300 कुंतल करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हिलांस के सहयोग से ऑनलाइन मार्केटिंग की जा रही है और कई राज्यों से इसकी डिमांड भी आ रही है। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष पिथौरागढ़ दीपिका बोरा, प्रसंस्करण विशेषज्ञ कविन्द्र सिंह चौहान, टीम लीडर कुलदीप बिष्ट सुदर्शन आजीविका संस्था की श्रीमती शिखा थापा, श्रीमती रेखा खड़ायत, कु.चंद्रा आर्या और संस्था से जुड़ी महिलाएं उपस्थित थी।
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उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा लगभग 7000 पदों पर गतिमान भर्ती प्रक्रिया राज्य लोक सेवा आयोग को हस्तांतरित
कैबिनेट ने किया प्रस्ताव पारित
भर्ती परीक्षाओं की शुचिता और गरिमा बनाए रखने के लिए राज्य सरकार हर संभव कदम उठाएगीः सीएम पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा लगभग 7000 पदों पर गतिमान भर्ती प्रक्रिया राज्य लोक सेवा आयोग को हस्तांतरित करने के सम्बंध में आज कैबिनेट से प्रस्ताव पारित हो गया है। मुख्यमंत्री श्री धामी के निर्देश हैं कि भर्ती परीक्षाओं की शुचिता और गरिमा बनाए रखने के लिए राज्य सरकार हर संभव कदम उठाएगी।
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार ने इन भर्तियों को राज्य लोक सेवा आयोग से कराने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने शीघ्र ही भर्ती परीक्षाओं का एक कैलेंडर जारी कर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं।
सीएम ने भविष्य की परीक्षाओं का भी एडवांस कैलेंडर जारी करने के निर्देश दिये
मुख्यमंत्री श्री धामी के निर्देश है कि वर्तमान विज्ञापित पदों के साथ-साथ राज्य सरकार के सभी विभाग एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपने यहां सीधी भर्तियों के रिक्त पदों की सूची बनाते हुए आयोग को उपलब्ध कराएं जिससे भविष्य की परीक्षाओं का भी एडवांस कैलेंडर जारी किया जा सके।
वे समस्त परीक्षाएं जिनमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा किसी भी चरण की परीक्षा आयोजित कर परिणाम घोषित कर दिया गया है, किन्तु चयन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई है. उन परीक्षाओं की अवशेष कार्यवाही उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा की जायेगी। वे समस्त परीक्षाएं जिनमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आवेदन आमंत्रित किये जा चुके हैं तथा कोई भी परीक्षा आयोजित नहीं की गयी है; उनमें लोक सेवा आयोग की परिधि में जाने के पश्चात् पुनः विज्ञप्ति प्रकाशित किए जाने की दशा में अभ्याथियों को आवेदन शुल्क से मुक्त रखा जाएगा। राज्य सरकार सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और स्वच्छता के लिए प्रतिबद्ध है
शीघ्र से शीघ्र परीक्षाएं कराकर युवाओं को नौकरी देना सरकार की पहली प्राथमिकताः सीएम
युवाओं का मनोबल बनाए रखने के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से शीघ्र से शीघ्र परीक्षाएं कराकर युवाओं को नौकरी देना सरकार की पहली प्राथमिकता है। युवा बेरोजगारों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धी माहौल देने के लिए सरकार कृतसंकल्प ह।
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मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने श्री हरि मंदिर रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने हिमालय के संरक्षण हेतु शपथ दिलवाई एवं श्रीमद्भागवत गीता के ऊपर संक्षेप व सरल भाषा में लिखी गई पुस्तक का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय के प्राकृतिक जल स्रोतों धारों, नालों के अध्ययन, संरक्षण और संवर्धन के लिए एक कमेटी के गठन किए जाने की बात कही, जो विभिन्न प्रयासों से हिमालय के प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने और संरक्षित करने का हर संभव प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण में हम सभी की भागीदारी जरूरी है। सरकार के दोनों दायित्व तय हैं, जहां एक ओर हिमालय के संरक्षण के प्रति गंभीर रहना है, तो दूसरी ओर विकास के प्रति भी उतना ही दायित्व निभाना है, ताकि हिमालय का पर्यावरण सुरक्षित रहे और यहाँ के निवासियों की आर्थिकी भी। समूचे हिमालय से जुड़े राज्यों के लिए यहाँ की अलग भौगोलिक और स्थानीय परिस्थिति के अनुकूल अलग विकास मॉडल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने नीति आयोग की बैठक में भी हिमालय के महत्वपूर्ण सरोकारों से जुड़े मुद्दों को साझा किया और इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव और प्रस्ताव साझा किए।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में सामाजिक विकास की आवश्यकता है, हमें इकॉलोजी एवं इकोनॉमी को साथ में रखते हुए कार्य करना होगा। हिमालय की जैव विविधता को संरक्षित करना है। जब हिमालय बचा रहेगा, तभी जीवन बचा रहेगा।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय का किसी राज्य व देश के लिये ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये महत्व है। हिमालय के संरक्षण का दायित्व, हम सभी का है। हिमालय के संरक्षण के लिये यहां की संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है। विकास के साथ ही प्रकृति के साथ भी संतुलन बनाना होगा। प्रकृति के संरक्षण के लिये हिमालय का संरक्षण आवश्यक है। हिमालयी राज्यों को विकास के दृष्टिगत पारिस्थितिकी और आर्थिकी के समन्वय पर ध्यान देने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण उत्तराखण्ड वासियों के स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व, प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच का परिणाम है। पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत है। सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं।
परमार्थ निकेतन के प्रमुख श्री स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पहाड़ी राज्य का प्रत्येक व्यक्ति हिमालय का प्रहरी है। हिमालय जैसे विराट भूभाग का संरक्षण ही असल मायनों में हमारे भविष्य का संरक्षण है। उन्होंने कहा गंगा, जलाशय, प्राकृतिक संसाधनों, ग्लेशियर का संरक्षण के साथ ही हिमालय का संरक्षण मुमकिन है। मां गंगा का अस्तित्व हिमालय एवं ग्लेशियर के अस्तित्व पर आधारित है, उन्होंने मुख्यमंत्री श्री धामी को एकल हनुमान सम्मान प्रदान करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री धामी पर्यावरण के संरक्षण में हनुमान की तरह संकल्पित होकर अथक परिश्रम कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उत्तराखंड का वातावरण एवं पर्यावरण पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। उन्होंने कहा यहां आने से नई ऊर्जा मिलती है। हिमालय के संरक्षण के साथ ही जीवनदायिनी मां गंगा का संरक्षण भी बेहद जरूरी है एवं पर्यावरण के संरक्षण में सभी की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने हर शुभ कार्य से पहले पौधारोपण एवं उत्तराखंड के साथ ही पूरे भारत को प्लास्टिक मुक्त किए जाने हेतु आग्रह किया।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज एवं बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रकृति पर्यावरण के साथ ही हिमालय ग्लेशियर का संरक्षण बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में वन विभाग जंगलों, प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के कार्य में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा हम सभी एवं आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण और हिमालय के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संकल्पबद्ध होना पड़ेगा।
पद्मश्री डॉ अनिल जोशी ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालय के संरक्षण हेतु चर्चा विचार एवं मंथन यहां के निवासियों, एनजीओ, शोध संस्थानो द्वारा गंभीरता से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा हिमालय के संरक्षण के साथ, वहां के मूल निवासियों का संरक्षण भी बेहद जरूरी है, जिसके लिए विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा हमारा भविष्य तभी सुरक्षित है, जब हिमालय सुरक्षित होगा।
इस अवसर पर विधायक रेनू बिष्ट, विधायक भोपाल राम टम्टा, जिलाधिकारी पौड़ी विजय कुमार जोगदंडे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी जसवंत सिंह चौहान, एकल भारत लोक शिक्षा परिषद से नीरज राय एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
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जनपद पौड़ी में अवैध खनन, परिवहन व भण्डारण की रोकथाम हेतु छापेमारी की कार्यवाही की गयी। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा सघन अभियान चलाकर गुरूवार देर रात को वैध रवन्ने में दर्ज मात्रा से अधिक उपखनिज वाहनों में लदा होने तथा अवैध रेत का परिवहन कर रहे कुल 08 वाहनों का मौके पर चालान कर जुर्माना अधिरोपित किया गया।
उपनिदेशक/भूवैज्ञानिक, भूतत्व एवं खनिकर्म दिनेश कुमार की अगुवाई में चलाये गये अभियान के दौरान नयार घाटी, पौड़ी व श्रीनगर क्षेत्रों में उपखनिज परिवहन कर रहे वाहनों की सघन जांच की गयी, जांच में डम्पर सं0 यू0के012 सीए-0468, यू0के12 सीए-0336, यू0के12 सीए-1255, यू0के13 सीए-0257, यू0के15 सीए-0994, यू0के07 सीसी-3121 को रवन्ना में दर्ज मात्रा से अधिक उपखनिज परिवहन करते हुये पाया गया, जबकि डम्पर सं0 यूके15 सीए-1036 व पिकअप संख्या-यू0के12 सीए-0641 को अवैध रेत परिवहन करते पकड़ा गया। इन सभी वाहनों का नियमानुसार चालान कर जुुर्माना अधिरोपित किया गया है। उपनिदेशक/भूवैज्ञानिक, भूतत्व एवं खनिकर्म दिनेश कुमार ने बताया कि अवैध खनन/परिवहन के खिलाफ की गयी इस कार्यवाही से लगभग 2.50लाख का राजस्व प्राप्त हुआ है। कहा कि अवैध खनन रोकने हेतु यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।
कार्यवाही में सर्वेक्षक विनोद लाल, शिवा नेगी व जयपाल भण्डारी सहित संबंधित उपस्थित थे।