विपदा में भी गुलजार है जोशीमठ
-शशिभूषण मैठाणी ‘पारस’
-शशिभूषण मैठाणी ‘पारस’ (स्वतंत्र विचारक)
विपदा में गुलजार है जोशीमठ ! यही तो पहाड़ियों की खासियत भी है । आए दिन कई मीडिया रिपोर्ट पढ़ने को मिल रही है , जिसमें उनकी हैडिंग कुछ इस तरह की होती हैं ..
◆पाताल में समा जाएगा जोशीमठ !
◆दूसरी पहाड़ी पर बसेगा जोशीमठ !
◆नदी में समा जाएगा जोशीमठ !
◆50 मीटर गहरी हैं दरारें !
◆यात्रा पर संकट … आदि इत्यादि बकवास शीर्षक/समाचार सिर्फ अपने अपने फायदे के लिए पेश कर रहे हैं ।
बिल्कुल जोशीमठ नगर के 3 वार्ड ऐसे हैं जहां पर जमीन धंसी है और मकानों दरारें भी आई हैं । जो कि उन सभी परिवारों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का कारण भी बने हैं । फिर भी शासन प्रशासन दिन रात पीड़ितों की मदद के लिए मुस्तैद है । दूसरी तरफ अपने हक की लड़ाई को पीड़ित लोग संगठित होकर सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती के नेतृत्व लोकतांत्रिक रूप से आंदोलनरत भी हैं और अपनी मांगों व सुझावों को सरकार तक भी भेज रहे हैं ।
परन्तु अधिसंख्य मीडिया संस्थानों ने सिर्फ अपनी दुकान चलाने के लिए जोशीमठ का ऐसा ऑपरेशन कर डाला कि यहां आने वाले सैलानियों व यात्रियों के मनों में लंबे समय तक दहशत बैठ गई ।
जबकि स्थिति बदरीनाथ यात्रा का मार्ग पूर्व की भांति यथावत है । रोजमर्रा की जिंदगी भी यथावत है । खूबसूरत औली ढलाने सैलानियों के इंतजार में सूनी पड़ी हैं जिसकी वजह है मीडिया की नकारात्मक रिपोर्टिंग ।
हम भी पत्रकार हैं और हम सबको रिपोर्ट बनाते वक्त सभी पहलू सोचने होंगे । जोशीमठ का एक पहलू वो सैकड़ों परिवार हैं जिनके सामने उनके घर टूट रहे हैं और लोग बिखर रहे हैं । मीडिया को उनकी परेशानियों को उजागर कर बात को पुख्ता तौर पर सरकार के सामने रखना चाहिए था ।
दूसरा पहलू यह भी कि जोशीमठ नगर की बड़ी आबादी जिनकी संख्या हजारों में है, और वह सुरक्षित भी हैं । उनके व्यापारिक प्रतिष्ठान दुकान मकान होटल सब यथावत हैं, सुरक्षित भी हैं और सुरक्षित रहेंगे । लेकिन मीडिया ने इतनी नकारात्मक समाचार देश विदेश की जनता के सामने रखे कि आज हजारों लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है । दरारों से पीड़ित परिवारों के साथ सरकार खड़ी है और होना भी चाहिए लेकिन जो लोग पीड़ित ही नहीं थे उनके सामने मीडिया ने संकट खड़ा कर दिया है ।
मैं फिर कह रहा हूँ कि जोशीमठ में आपदा है और उस पर CM , DM व वैज्ञानिक बराबर नजर बनाए हुए हैं । लेकिन यह भी सोचिए कि कुछ ही दिनों के बाद बदरीनाथ यात्रा शुरू होगी तो हमें देशभर के आस्थावान लोगों को यह भी बताना होगा कि बदरीनाथ का मार्ग कहीं पर भी अवरुद्ध नहीं है । खुशी खुशी चले आओ बदरीनाथ धाम ।
मेरा सिर्फ यह कहना है कि हमें पत्रकारिता अपने फायदे के लिए नहीं बल्कि कायदे से करनी होगी । सभी पहलुओं को सामने रखकर खुले दिमाग से रिपोर्टिंग करनी होगी
श्री शशिभूषण मैठाणी “पारस” की फेसबुक वॉल से साभार