-अरुणाभ रतूड़ी
श्रीलंका में रोचक ढंग से पश्चिमी बेड़े की तैनाती का कार्य समाप्त।
श्रीलंका में पश्चिमी बेड़े की तैनाती 12 मार्च 2022 को दोनों नौसेनाओं के बीच एक समुद्री साझेदारी अभ्यास के साथ समाप्त हुई।
कोलंबो बंदरगाह से प्रस्थान करने पर, आईएन जहाजों चेन्नई और तेग ने श्रीलंका की नौसेना के जहाज सिंदुरला के साथ अभ्यास किया। सुचारू रूप से आयोजित अभ्यास की शुरुआत श्रीलंकाई नौसेना के तेज आक्रमण करने वाले हवाई जहाजों द्वारा बंदरगाह छोड़ने वाले जहाजों के खिलाफ असंयमित खतरे की नकली स्थिति के साथ हुई। इसके बाद, नाविक विद्या अभ्यासों के रूप में, दोनों देशों की नौसेनाएं जहाज खींचने, समुद्र में फिर से भरने के लिए स्टेशन बनाकर रखने और नजदीक से युद्धाभ्यास करने के लिए एक-दूसरे के करीब आई। भारतीय नौसेना के चेतक हेलीकॉप्टर ने भी अभ्यास में भाग लिया। अभ्यास पारंपरिक तरीके से समाप्त हुआ, जिसमें श्रीलंकाई जहाज भारतीय नौसेना के जहाजों की तरफ विपरीत दिशाओं से और निजी कर्मियों के साथ बढ़े और एक-दूसरे को अलविदा कहा। नौसेनाओं के बीच पेशेवर बातचीत अत्यंत उपयोगी रही और उनके बीच आपसी मेल-जोल बढ़ा।
इससे पहले 11 मार्च 2022 को, रियर एडमिरल समीर सक्सेना, एनएम, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग वेस्टर्न फ्लीट (एफओसीडब्ल्यूएफ) ने श्रीलंका के विदेश सचिव एडमिरल प्रो. जयनाथ कोलम्बेज से मुलाकात की थी। आईएनएस चेन्नई और आईएनएस तेग के कमांडिंग ऑफिसर्स ने श्रीलंका की पश्चिमी नौसेना के कमांडर रियर एडमिरल एयूसी डी सिल्वा से मुलाकात की।
आपसी संपर्क बढ़ाने के लिए दोनों नौसेनाओं के जवानों के बीच जूनियर स्तर पर एक मैत्रीपूर्ण वॉलीबॉल मैच भी खेला गया। भारतीय जहाजों को आम जनता, स्कूली बच्चों, सेवारत नौसेना कर्मियों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए खुला रखा गया था। आयोजित बातचीत के दौरान कोविड-19 से संबंधित सभी नियमों का पालन किया गया।
*****
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन
संवाद कार्यक्रम में “अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली का मूल्यांकन” विषय पर चर्चा
Posted Date:- Mar 15, 2022
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा “अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली का मूल्यांकन” विषय पर दिनांक 15 मार्च से 16 मार्च 2022 तक दो दिवसीय राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन इण्डिया हैबिटैट सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली में किया जा रहा है।
इस सम्मेलन का उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में चुनौतियों को सामने लाना और इन क्षेत्रों में जनजातियों के स्वास्थ्य और स्वास्थ्य प्रणाली को उन्नत बनाने हेतु संभाव्य समाधानों पर विमर्श करना है।
केंद्र एवं राज्य स्तर पर विभिन्न सरकारी योजनाओं और STC घटक के बावजूद जनजाति स्वास्थ्य के सूचकांकों से उभरती राष्ट्रीय बहस के आलोक में इस संवाद के माध्यम से आयोग का मंतव्य जनजातीय स्वास्थ्य के सभी भागीदारों जैसे आधारभूत संगठनों, नीति निर्धारकों, सरकारी संस्थानों, मंत्रालयों, विभागों को एक साथ लेकर स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियों की मूल नब्ज को पकड़ना और जनजातीय क्षेत्रों में निवासरत जनसंख्या द्वारा अनुभव की जाने वाली बाधाओं को समझना है।
इस संवाद कार्यक्रम के पहले दिन जनजातीय स्वास्थ्य प्रणाली के प्राथमिक क्षेत्रों और चुनौतियों पर दो सत्रों में चर्चा हुई। जनजाति क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रबंधन एवं स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में राज्यों के अनुभव पर चर्चा होनी है।
संवाद कार्यक्रम के दूसरे दिन जनजातीय स्वास्थ्य एवं ऋणग्रस्तता, स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं के पुनर्जीवन, प्रभावी स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सर्वोत्तम व्यवहारों तथा स्वास्थ्य प्रणाली की पहुँच, जागरूकता एवं पहुँच को जनजातियों तक ले जानने पर सकारात्मक चर्चा होगी।
आयोग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में कई केंद्रीय मंत्री, सांसद, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, विषय-विशेषज्ञ, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि तथा जमीनी स्तर पर कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ता सम्मिलित हो रहे हैं।
कार्यक्रम में “अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली का मूल्यांकन” विषय पर चर्चा
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा “अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातियों के स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली का मूल्यांकन” विषय पर दिनांक 15 मार्च से 16 मार्च 2022 तक दो दिवसीय राष्ट्रीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन इण्डिया हैबिटैट सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली में किया जा रहा है।
इस सम्मेलन का उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में चुनौतियों को सामने लाना और इन क्षेत्रों में जनजातियों के स्वास्थ्य और स्वास्थ्य प्रणाली को उन्नत बनाने हेतु संभाव्य समाधानों पर विमर्श करना है।
केंद्र एवं राज्य स्तर पर विभिन्न सरकारी योजनाओं और STC घटक के बावजूद जनजाति स्वास्थ्य के सूचकांकों से उभरती राष्ट्रीय बहस के आलोक में इस संवाद के माध्यम से आयोग का मंतव्य जनजातीय स्वास्थ्य के सभी भागीदारों जैसे आधारभूत संगठनों, नीति निर्धारकों, सरकारी संस्थानों, मंत्रालयों, विभागों को एक साथ लेकर स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियों की मूल नब्ज को पकड़ना और जनजातीय क्षेत्रों में निवासरत जनसंख्या द्वारा अनुभव की जाने वाली बाधाओं को समझना है।
इस संवाद कार्यक्रम के पहले दिन जनजातीय स्वास्थ्य प्रणाली के प्राथमिक क्षेत्रों और चुनौतियों पर दो सत्रों में चर्चा हुई। जनजाति क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रबंधन एवं स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में राज्यों के अनुभव पर चर्चा होनी है।
संवाद कार्यक्रम के दूसरे दिन जनजातीय स्वास्थ्य एवं ऋणग्रस्तता, स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं के पुनर्जीवन, प्रभावी स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सर्वोत्तम व्यवहारों तथा स्वास्थ्य प्रणाली की पहुँच, जागरूकता एवं पहुँच को जनजातियों तक ले जानने पर सकारात्मक चर्चा होगी।
आयोग द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में कई केंद्रीय मंत्री, सांसद, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, विषय-विशेषज्ञ, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि तथा जमीनी स्तर पर कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ता सम्मिलित हो रहे हैं।