सीला पैदल पुल निर्माण”नौ दिन चले अढाई कोस”चरितार्थ कर रहा है।
-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी स्वतंत्र पत्रकार
नौ दिन चले अढाई कोस। यह कहावत लोक निर्माण विभाग खण्ड दुगड्ड के उपखण्ड लक्ष्मणझूला द्वारा सीला में बन रहे पैदलपुल निर्माण पर सटीक बैठती है।
सन् 2014 की आपदा में सीला फेडुवा मोटरमार्ग पर सन् 1958 का सीमेंट कंक्रीट का बना पुल बह गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत के कांडी आगमन पर उनके द्वारा सीला पुल और सीला पुल से कांडई तक रोड़ निर्माण की घोषणा की गयी पर एक मुख्यमंत्री की घोषणा केवल घोषणा ही रह गयी। चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बनी।श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने।14जनवरी 2018 को वे थलनदी आये ।थलनदी में उन्होंने राज्य आन्दोलनकारी स्व.के.पी. रतूड़ी के आग्रह पर सीला पुल व सीला से कांडई तक सड़क निर्माण की घोषणा कर दी।उनकी घोषणा से इतना हुआ कि घोषणा पर तत्समय ही शासनादेश व लगभग 58 लाख रुपये स्वीकृत हो गये जो कि पुल की डिजाइन सर्वे आदि पर व्यय होंगे। या हो गये होंगे। दो -दो मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद व 58 लाख की स्वीकृति के बाद भी न पुल बनने की कार्यवाही आगे बढ पायी न ही सड़क निर्माण की कार्यवाही आगे बढ पायी।
पुल बनाने की जनता की निरंतर मांग पर पिछली विधानसभा की क्षेत्रीय विधायक श्रीमती ऋतु खण्डूड़ी भूषण (वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष) अपने कार्यकाल पूर्ण होने के कुछ ही समय पूर्व चुनाव घोषणा से कुछ दिन पहले एक दिन अपने साथ पार्टी कार्यकर्ताओं व लोनिवि के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ वहां पहुँचीं और मोटर पुल पर नपाई करवाने लगीं।संयोगवश मैं उस दिन वहाँ गाँव में ही था। मुझे सूचना मिली तो मैं उक्त स्थान पर पहुँचा और मैंने उनसे पूछा कि यह नपाई मोटर पुल के लिए है क्या?तो वहाँ किसी ने जबाब दिया कि नहीं यहां पर पैदल पुल बनेगा।जब मैंने उनसे पूछा कि मोटर पुल कहां बनेगा तो एक अधिकारी ने जबाब दिया कि सामने वहाँ खेतों पर।मेरे पूछने पर कि क्या खेत मालिक ने जमीन देने के लिए स्वीकृति दे दी। तो अधिकारी ने कहा हाँ।संयोग से खेत के स्वामी श्री हरीश सिंह बिष्ट वहीं थे उन्होंने खेत स्वीकृति के लिए मना कर दिया।तब मैंने तत्कालीन विधायक से आग्रह किया कि जहां पुराना पुल था वहां नया मोटर पुल बनाया जाय और नया पैदल पुल पंचायत भवन के आगे बनाया जाय। अन्तत: मेरे सुझाव को मान लिया गया।
पैदल पुल के लिए लगभग 11लाख रुपये स्वीकृत हुये थे।निविदा आमंत्रित हुई। तब तक चुनाव आ गये।विधायक की सीट बदल दी गयी। चूँकि यहां नये चुनाव हो जाने से नयी विधायक चुनी गयीं और जून में पैदल पुल पर कार्य आरम्भ हो गया। पर पुरानी विधायक का क्षेत्र बदल दिए जाने से लोनिवि के अधिकारियों पर पैदल पुल शीघ्र बनाने का दबाब हट गया। वर्तमान विधायक का प्रभाव विभाग पर कितना है यह इस उदाहरण से सामने आ जाता है कि विधायक ने अपने सीला आगमन पर लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियन्ता से सीला पुल फेडवा कांडी मोटर मार्ग जो पुल के सामने टूटा है को खोलने का निर्देश दिया था जिस पर उन्होंने 15 दिन के अन्दर मार्ग खोलने का आश्वासन दिया परन्तु दो माह से अधिक होने पर भी वह मार्ग आज तक नहीं खुला जिससे ग्राम सीला की जनता यातायात से वंचित है।
जून 2022 से नवम्बर 22 तक इस पैदलपुल पर केवल एक तरफ का स्तम्भ बन पाया है।वर्तमान में कार्य बंद है। जहाँ ठेकेदार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठता है कि उसने ठीक बरसात के पहले कार्य प्रारम्भ किया पर उसने कार्य को गति नहीं दी।छ महीने मे केवल एक खम्बा बनाना लोनिवि की कार्य कराने की गति पर भी प्रश्नचिह्न खड़े करता है।हो सकता है लोनिवि ने ठेकेदार को कार्य न करने पर नोटिस भेजा हो परन्तु ठेकेदार की सेहत पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा हैऔर यह कहावत सटीक बैठ रही है कि नौ दिन चले अढाई कोस।
क्या सरकार जनता की इस विषम समस्या को बरसात से पहले बनाकर दूर कर जनता व राजकीय प्राथमिक विद्यालय सीला व राजकीय माध्यमिक विद्यालय सीला के छात्रों को राहत देगी?