-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
उत्तराखण्ड के उच्च न्यायालय ने प्लास्टिक प्रतिबंध पर कठोर रुख अपनाते हुए उच्च अधिकारियों को हाईकोर्ट में तलब किया।
न्यूज पोर्टलों के अनुसार हाईकोर्ट नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विपिन सांघी व जस्टिस रमेश खुल्बे की संयुक्तपीठ ने, पूर्व में हाईकोर्ट के उत्तराखण्ड में प्लॉस्टिक बैन के आदेश को हल्के में लेने से,कठोर रुख अपनाते हुए प्रदेश के वन सचिव,पर्यावरण सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,गढवाल व कुमाऊं कमिश्नर को कोर्ट में तलब किया।पीठ ने कहा कि पिछले आदेश में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी गयी थी।अधिकारियों द्वारा आदेश का पालन न करने पर प्रदेश के प्रत्येक प्रभागीय वनाधिकारियों DFO)पर 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वे व्यक्तिगत रूप से अदा करेंगे।
संयुक्त पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वे अपने अधिकारियों को कूड़ा निस्तारण नियमावली का प्रशिक्षण दे ताकि वह अपनी जिम्मेदारी समझ सकें।
संयुक्त पीठ ने होटल,मल्टीप्लैक्स मॉल,बैंकट हॉल को आदेश दिए हैं कि वे अपने प्लास्टिक कचरे(वेस्ट) को रिसाईकिलिंग प्लॉट तक खुद ले जायें अगर वे आदेश का पालन नहीं करते तो निदेशक पंचायती राज व निदेशक शहरी विकास उन पर कार्यवाही करेंगे।
जितेन्द्र यादव की याचिका पर सुनवायी करते हुए पीठ ने कहा कि जो निर्माता,उत्पादनकर्ता,आयात कर्ता अगर प्रदूषण बोर्ड मे पंजीकृत नहीं होगा या अपने उत्पाद के कूड़ा निस्तारण की प्लानिंग नहीं देते तो उनका उत्पाद उत्तराखण्ड में बैन कर दिया जाएगा।