(अरुणाभ रतूड़ी जनस्वर)
राज्यपाल के समक्ष उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने राजभवन में ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ के अंतर्गत चल रहे शोध कार्य की प्रगति पर प्रस्तुतीकरण दिया।
राजभवन देहरादून:- राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) के समक्ष उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने राजभवन में ‘वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च’ के अंतर्गत चल रहे शोध कार्य की प्रगति पर प्रस्तुतीकरण दिया। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘संस्कृति और भारतीय ज्ञान प्रणाली की पुनर्स्थापनाः उत्तराखण्ड राज्य के संदर्भ में’’ विषय पर शोध किया जा रहा है।
प्रो. शास्त्री ने शोध के उद्देश्य और प्रमुख निष्कर्षों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली और संस्कृति के प्रति जनमानस में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। शोध के माध्यम से तीर्थाटन और पर्यटन के बीच के अंतर को स्पष्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि इस अंतर की अज्ञानता के कारण पवित्र तीर्थ स्थलों की शुचिता प्रभावित हो रही है, जिससे पर्यावरणीय, सामाजिक और प्राकृतिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में केवल पाँच प्रयाग(संगम) होने की आम धारणा है, शोध के दौरान शास्त्रों के गहन अध्ययन से यहां इससे अधिक प्रयागों का उल्लेख मिलता है। उन्होंने कहा कि यदि इन प्रयागों का प्राचीन शास्त्रों के आधार पर प्रचार-प्रसार किया जाए, तो इससे उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को और अधिक बल मिलेगा। इससे तीर्थाटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा साथ ही आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगी।
राज्यपाल ने इस महत्वपूर्ण शोध कार्य के लिए विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह अध्ययन हमारी प्राचीन ज्ञान प्रणाली और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में सहायक होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय को इस शोध कार्य की संक्षिप्त रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए, ताकि इसके अंतिम निष्कर्षों को व्यापक स्तर पर प्रचारित किया जा सके।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री रविनाथ रामन, अपर सचिव श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया, तथा विश्वविद्यालय की ओर से प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, शोध अन्वेषक डॉ. विनय सेठी और डॉ. उमेश शुक्ल उपस्थित रहे।