सचिव परिवहन एवं मंडलायुक्त के आदेश की परवाह नहीं करते देहरादून के सिटि बस संचालक#प्रदेश स्तर पर राहत एवं बचाव कार्यों के क्रियान्वयन हेतु सभी सम्बन्धित विभागों के तैनात नोडल अधिकारी निगरानी कर रहे हैं।#आपदा क्षमता विकास प्रबन्धनतंत्र प्रभावी बनाने के लिए हाई टेक्नोलॉजी का प्रयोग होगा। www.Janswar.com

मंडलायुक्त और सचिव आरटीए के आदेश को भी नहीं मानते सिटी बस ऑपरेटर,अब 15 अगस्त से होगा जबरदस्त आंदोलन ।

केशर जन कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट एन के गुसाईं ने एक विज्ञप्ति में आरोप लगाया कि अधिकारियों के आदेश के बावजूद डीएल रोड, नवादा वाया मोहकमपुर माजरी माफी रूट पर सिटी बस संचालन शुरू नहीं किया जा रहा है। इससे आक्रोशित केेेशर जन कल्याण समिति ने 15 अगस्त से जबरदस्त आंदोलन की चेतावनी दी है।

एडवोकेट एन के गुसाईं ने कहा कि उन्होंने दिनांक 16 जून 2022 को डीएल रोड नवादा वाया मोहकमपुर माजरी माफी सिटी बस संचालन हेतु गढ़वाल मंडलायुक्त व सचिव आरटीए को पत्र लिखा था।
आर टी ए ने इस संबंध में संबधित रूट के सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष को सिटी बस का संचालन हेतु 30 जून को पत्र लिखा, लेकिन आज 3 सप्ताह से भी अधिक का समय व्यतीत होने पर भी इस रूट पर सिटी बस का संचालन नहीं हो पाया है।
गुसाईं ने कहा कि यदि 15 अगस्त तक इस रूट पर सिटी बस का पूर्ववत व विधिवत संचालन प्रारम्भ नहीं हुआ तो समिति राज्य सरकार से इस रूट पर रोडवेज की ए सी बस संचालन की मांग करेगी।
यदि राज्य सरकार अथवा परिवहन निगम ने भी हमारी मांग नहीं मानी तो हम रायपुर विधानसभा की जनता को साथ लेकर 15अगस्त से आव्दोलन करने पर विवश होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी परिवहन विभाग की होगी।

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आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत प्रदेश स्तर पर राहत एवं बचाव कार्यों के क्रियान्वयन हेतु सभी सम्बन्धित विभागों के तैनात नोडल अधिकारी निगरानी कर रहे हैं।
आपदा की स्थिति में पशुपालन विभाग द्वारा विकासखण्ड, जिला, मण्डल एवं राज्य स्तर पर कन्ट्रोल रूम की स्थापना करते हुए नोडल अधिकारी नामित है। आपदा सम्भावित समय में समस्त विकासखण्ड स्तरीय आपदा प्रकोष्ठ को सक्रिय किया गया है। आपदा के समय प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर त्वरित कार्यदल का गठन किया गया है। राज्य में 118 उपचारा बैंक स्थापित है जिसमें पर्याप्त मात्रा में कॉम्पैक्ट फीड ब्लॉक उपलब्ध है। राज्य में आपदा प्रबन्धन कार्य हेतु 103 टीमों का गठन किया गया है।

जल संस्थान विभाग द्वारा दैवीय आपदा से सम्बन्धित क्षति को दृष्टिगत करते हुये पेयजल योजनाओं के तत्काल पुनर्स्थापना हेतु 86.31 कि.मी जी.आई. पाईप एवं 110.82 कि.मी. एच.डी.पी.ई. पाईप कुल 196.93    कि.मी. पाईप शाखाओं में बफर के रूप में उपलब्ध है। जल शोधन एवं विसंक्रमण हेतु समस्त शाखाओं में आवश्यक रसायन उपलब्ध करा दिये गये हैं।

आपदा की स्थिति में, विभिन्न शाखाओं में पेयजल उपलब्ध कराये जाने हेतु 71 विभागीय टैंकर उपलब्ध हैं एवं किराये के 219 पेयजल टैंकर चिन्हित हैं। राज्य के अन्तर्गत वर्ष 2022 में दैवीय आपदा/अतिवृष्टि से वर्तमान तक कुल 318 पेयजल योजनायें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं जिनमें से 313 पेयजल योजनाओं में अस्थायी व्यवस्था से पेयजल आपूर्ति चालू कर दी गयी है तथा शेष 05 पेयजल योजनाओं को चालू किये जाने हेतु कार्यवाही प्रगति पर है। विगत 03 दिवस के भीतर दैवीय आपदा/अतिवृष्टि से 07 पेयजल योजनायें क्षतिग्रस्त हुई है, जिसमे 02 पेयजल योजनाओं में अस्थायी व्यवस्था से पेयजल आपूर्ति चालू कर दी गयी है तथा 05 पेयजल योजनाओं को चालू किये जाने हेतु कार्यवाही प्रगति पर है।

सिंचाई विभाग द्वारा प्रत्येक जनपद में बाढ़ नियंत्रण कक्ष तथा देहरादून में केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना मानसून सत्र (दिनांक 15 जून से 15 अक्टूबर) हेतु की जा चुकी है। विभाग द्वारा राज्य में 22 स्थानों पर नदियों तथा 16 स्थानो पर बैराज/डेम के जलस्तर तथा डिस्चार्ज की मॉनिटरिंग की जा रही है। विभाग द्वारा 210 संवेदनशील तथा अतिसंवेदनशील स्थानों का चिन्हीकरण किया गया है। राजस्व विभाग एवं सिंचाई विभाग द्वारा 113 स्थानों पर बाढ़ चौकियों की स्थापना की गयी है, जिसके माध्यम से तत्काल बाढ़ की सूचना का आदान प्रदान ग्राम प्रधानो, स्थानीय व्यक्तियों तथा बाढ नियंत्रण कक्ष में  किया जाता है। इस वर्ष सम्पूर्ण राज्य में वर्तमान तक 69 स्थानों पर नहर तथा 09 स्थानों पर बाढ़ सुरक्षा कार्य क्षतिग्रस्त हुए है, जिसकी छुटमुट  मरम्मत का कार्य तत्काल प्रारम्भ किया जाता है।

राज्य के सभी जनपदों में पेयजल आपूर्ति सुचारू है। जनपद बागेश्वर एवं टिहरी में भारी वर्षा के कारण कुछ क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति बाधित चल रही हैं। विभाग द्वारा पेयजल उक्त जनपदों में टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति कराई जा रही है। राज्य में वर्तमान तक कुल 63 पेयजल लाईन बांधित हुयी थी, जिसमें से 61 पेयजल लाईन सुचारू कर दी गयी है। शेष 02 पेयजल लाईनों का कार्य गतिमान है।

लोक निर्माण विभाग उत्तराखण्ड के अन्तर्गत अवरुद्ध हुए कुल 43 मार्ग   ¼ NH-0, SH-05, MDR-1, ODR-04, VR-33 )  एवं पीएमजीएसवाई के अन्तर्गत अवरुद्ध हुए 93 मार्गों को विभागीय एवं प्राइवेट मशीनों द्वारा खोले जाने की कार्यवाही गतिमान है।

वन विभाग द्वारा वन मुख्यालय में स्टेट मास्टर कन्ट्रोल रूम का संचालन किया जा रहा है। विगत 24 घण्टों में एस0ई0ओ0सी0 कार्यालय तथा वन मुख्यालय स्थित कन्ट्रोल रूम में विभिन्न स्थानों पर चार वृक्ष उखड़/कगर जाने की घटनाओं की सूचना मिली। ये घटनाएं देहरादून, नैनीताल, उधमसिंह नगर एवं हरिद्वार से प्राप्त हुई। इन सभी स्थलों पर वन विभाग की टीम द्वारा तुरन्त कार्यवाही कर वृक्षों को मार्ग से हटा दिया गया। वन मुख्यालय स्थित कन्ट्रोल रूम  24×7  संचालित किया जाता है जिसका टोल फ्री न0 18001804141 है।

यूजेवीएनलिमिटेड द्वारा ग्रिड फेल होने की स्थिति में रिवर साईड गेट उठाने के लिये सप्लाई सुनिश्चित करने हेतु डीजल जनरेटर की  Healthiness   सुनिश्चित कर ली गई है। डीजल जनरेटर के लिये 10-15 दिन की आवश्यकतानुसार डीजल की व्यवस्था की गई है। बाँध/बैराज/विद्युत गृहों में उपलब्ध टेलीफोन/मोबाईल कम्यूनिकेशन की  Healthiness सुनिश्चित कर ली गई है। विद्युत गृहों, बाँध बैराजों में सायरन, हूटर्स, आपातकालीन वाहन की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुये आपातकालीन दूरभाष सम्पर्क नम्बरों को अपडेट कर लिया गया है। बाँध/बैराज से पानी छोड़ने से पूर्व सायरन बजाया जा रहा है। नदियों में न जाने के सूचना बोर्ड कई स्थानों पर लगाये गये हैं।

एन0डी0आर0एफ0 की राज्य के विभिन्न जनपदों में 06 टीम (अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग एवं देहरादून) तैनात है, जो की आपदा एवं बचाव कार्य के अतरिक्त राज्य में सभी जिलों में समुदायिक को आपदा से निपटने की क्षमता में विकास किया जा रहा है, 15 वी0 वाहिनी एन0डी0आर0एफ0 द्वारा राज्य के समस्त जिलों में 35 स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम व 18 सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम चलाये गये है।
एस0डी0आर0एफ0 द्वारा आपदा के दृष्टिगत बचाव एवं रेस्क्यू अभियान संचालित किया जा रहा है।

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आपदा क्षमता विकास प्रबन्धनतंत्र प्रभावी बनाने के लिए हाई टेक्नोलॉजी का प्रयोग होगा।

आपदा क्षमता विकास के अंतर्गत प्रबंधन तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने के प्रयास हो रहे है। इसके लिए सॉफ्टवेयर पर आधारित हाई टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा। आई.आर.एस., इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम को अधिक मजबूत बनाया जाएगा। इस संबंध में आज सचिवालय स्थित ,डी.एम.एम.सी सभागार में विभिन्न स्टेक होल्डर से सुझाव लिया गया और उच्च तकनीक पर आधारित मॉडल का प्रेजेंटेशन किया गया।
आपदा के समय प्रभावितों को मदद देर से मिल पाती है।  उच्च तकनीक के मदद से रिस्पांस समय को बहुत कम किया जा सकता है। इसमें जी.आई.एस. और जी.पी.एस. के मदद से आपदा स्थल पर बहुत कम समय में अधिक मदद पहुंचाई जा सकती है। यदि किसी स्थान पर भूस्खलन, बाढ़ की स्थिति आती है जब जल्द से जल्द इसकी जानकारी हाईटेक सिस्टम पर दिखाई देने लगेगा। इसमें मोबाइल एप का भी सहारा लिया जाएगा।
बैठक में वाडिया इंस्टीट्यूट दूरसंचार विभाग, एन.आई.सी ने अपने अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।
बैठक में सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा, अपर सचिव डॉ आनन्द श्रीवास्तव, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री जितेन्द्र सोनकर, अधिशासी निदेशक डॉ पीयूष रौतेला उपस्थित थे।