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शनिवार को त्रिवेणी घाट पर होगा कुंभकरण, मेघनाथ और रावण वध की लीला का मंचन व पुतला दहन, निकलेगी शोभायात्रा।
ऋषिकेश:- वर्ष 1955 से स्थापित सुभाष बनखंडी श्री रामलीला के 07वें दिन विभीषण शरणागत, अंगद रावण संवाद, सुलोचना महल और लक्ष्मण शक्ति, कालनेमि तक की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान लक्ष्मण जी को मूर्छा आ जाने पर रामभक्त भाव विभोर हो उठे।
बनखंडी रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला के 07वें दिन का शुभारंभ विभीषण शरणागत से हुआ। लीला में दिखाया गया कि विभीषण अपने भाई रावण को माता सीता को सम्मान के साथ श्री राम जी के पास वापस भेजने के लिए कहता है जिस पर रावण नाराज होकर उन्हें अपने राज्य से निकाल देता है इसके बाद विभीषण श्री राम शिविर में जाते हैं और उनसे शरण मांगते हैं। इसके बाद श्री राम अपने साथियों के साथ रामेश्वर धाम की स्थापना करते हैं।
लीला के दूसरे दृश्य में दिखाया गया कि श्रीराम एक बार पुनः दूत के रूप में अंगद को भेजते हैं और रावण-अंगद संवाद की लीला दिखाई जाती है। अंगद भरी सभा में अपना पैर जमा कर उठाने के लिए ललकारते हैं। जब कोई भी अंगद का पैर नहीं उठा पता तो यह देख रावण पहुंचता है जिस पर अंगद पैर हटा लेते हैं और युद्ध का ऐलान कर देते हैं। रावण अपनी ओर से युद्ध में पुत्र मेघनाथ को भेजता है जबकि श्री राम शिविर से युद्ध की कमान लक्ष्मण जी को दी जाती है।
लीला के तीसरे दृश्य में सुलोचना महल दिखाया गया। जहाँ रावण पुत्र मेघनाथ की पत्नी सुलोचना अपने पति के इंतजार कर रही होती है, तभी मेघनाथ का प्रवेश होता है। मेघनाथ पत्नी सुलोचना से युद्ध में जाने से पूर्व विदा लेने आता है। इसके बाद सुलोचना पति की युद्ध में विजय की कामना करते हुए विजय तिलक लगाती है।
इसके बाद युद्ध स्थल पर लक्ष्मण और मेघनाथ का युद्ध होता है काफी जद्दोजहद के बाद जब मेघनाथ लक्ष्मण का बाल भी बांका नहीं कर पाता है तो वह लक्ष्मण को हनुमान जी के बल पर युद्ध ना करने को कहता है। इस बार लक्ष्मण जी बजरंगबली को दूसरे स्थान पर जाकर युद्ध करने को कहते हैं। के बाद मेघनाथ छल का प्रयोग कर ब्रह्म शक्ति के जरिए लक्ष्मण जी को मूर्छित कर देता है। लक्ष्मण जी की मूर्छित होने की सूचना पाकर रामा दल में हाहाकार मच जाता है। श्रीराम का रो रो कर बुरा हाल होता है तभी विभीषण श्री राम को लंका के सुसैन वैद्य के बारे में बताते हैं।
सुसैन वैद्य को हनुमान जी लंका से उठाकर ले आते हैं। सुसैन वैद्य के द्वारा संजीवनी बूटी के बारे में श्रीराम जी को बताया जाता है। जिस पर प्रभु राम हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने को कहते हैं। हनुमान जी संजीवनी लेने जाते हैं मगर उन्हें बूटी की समझ ना होने के कारण वह पूरा पर्वत ही उठाकर रामादल में ले आते हैं। इसके बाद वैद्य द्वारा संजीवनी बूटी के जरिए लक्ष्मण जी के मूर्छित अवस्था को ठीक किया जाता है। इस दौरान पंडाल में राम भक्त भावविभोर होकर जय श्री राम के जयकारे लगाते हैं।
इस मौके पर रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, हुकुम चंद, राजेश दिवाकर, सुरेंद्र कुमार, दीपक जोशी, निर्देशक मनमीत कुमार, बाली पाल, अशोक मौर्य, ललित शर्मा, सुभाष पाल, पवन पाल, मयंक शर्मा, विनायक कुमार आदि उपस्थित रहे।
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बनखंडी रामलीला त्रिवेणी घाट पर करेगी पुतला दहन
ऋषिकेश। सुभाष बनखंडी श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विनोद पाल ने बताया कि बनखंडी की रामलीला के कलाकारों द्वारा त्रिवेणी घाट पर हजारों की संख्या में दर्शकों के बीच कुंभकरण, मेघनाथ और रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा। पुतला दहन के बाद राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की सुंदर झांकियों की नगर भर में शोभायात्रा निकाली जाएगी।