देश ने चुनी अपनी प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति
-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
भारतीय जनता पार्टी व उसकी सहयोगी दलों (एन.डी.ए.) द्वारा चुनाव मैदान में उतारी गयीं,भारत की 15 वें राष्ट्रपति के रूप में नव निर्वाचित झारखण्ड की पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रोपदी मुर्मू उड़ीसा की संथाल आदिवासी क्षेत्र से हैं। वे भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति तथा प्रथम निर्वाचित आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं।तथा उड़ीसा से चुनी जाने वाली दूसरी निर्वाचित राष्ट्रपति हैं।उन्होंने विरोधी दलों के उम्मीदवार यशवन्त सिन्हा को बड़े अन्तर से पराजित कर विजयश्री प्राप्त की।
20 जून 1958 को उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गाँव में श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का जन्म हुआ। इनकी माता का नाम किनगो टुडू व पिता का नाम विरंची नारायण टुडू था। बताया जाता है कि इनके दादा व पिता अपने गाँव के सरपंच रहे हैं।
द्रोपदी मुर्मू ने अपने बचपन में वह सभी कठिनाइयां झेली हैं जो एक अविकसित ग्रामीण गाँव के लोगों को झेलनी पड़ती है। इनकी प्राथमिक शिक्षा इनके क्षेत्र की प्राथमिक विद्यालय में हुई है। जैसा कि देश के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र में होता है उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती। पढने में मेधावी होने के कारण इन्हें उच्च शिक्षा के लिए भुवनेश्वर जाना पड़ा। यहाँ उन्हें रमादेवी महाविद्यालय में प्रवेश मिला।इसी महाविद्यालय से उन्होंने सन् 1979 में स्नातक परीक्षा उत्तीण की।
स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद उन्होंने परिवार को आर्थिक राहत देने के लिए नौकरी ढूंढनी शुरू की।जिसमे उनको सफलता मिली। उड़ीसा के सरकारी बिजली विभाग में उनको 1979 में कार्यालय सहायक की नौकरी मिली जिसे उन्होंने 1983 तक किया। सन् 1994 से 1997 तक उन्होंने अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेण्टर रयरंगपुर में बतौर शिक्षिका कार्य किया।
इनका विवाह श्यमाचरण मुर्मू से हुआ। इनके दो बेटे व एक बेटी संतान प्राप्ति हुई। परन्तु पति व दोनों बेटों का जीवन अल्पकालिक रहा।अब इनकी एक बेटी इतिश्री है जो गणेश हेम्ब्रम से विवाहित हैं।
64 वर्षीय श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने सन् 1997 में रायरंगपुर के नगर पंचायत पार्षद का चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखा।नगर पंचायत पार्षद का चुनाव जीत कर वे पार्षद बनीं।इसी वर्ष उन्हें बीजेपी अ.स.जा.ज.जा.प्रकोष्ठ का उपाध्यक्ष चुना गया।
़सन् 2000 में वे रायरंगपुरम वि.स. सीट से विधायक चुनी गयी।बीजू जनतादल व भाजपा सरकार में 06 मार्च 2000 को उन्हें उड़ीसा राज्य सरकार में वाणिज्य व परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। 06 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक वे मत्स्यपालन व विकास राज्यमंत्री रहीं। सन् 2002 से सन् 2009 वे भाजपा अनु.सू.जा.ज.जा राष्ट्रीय प्रकोष्ठ की सदस्य तथा 2006 से 2009 तक वे भाजपा की उड़ीसा प्रदेश अ.ज.जा.व ज.जा.प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रहीं हैं। सन् 2004 के चुनाव में वे पुन: विधायक चुनी गयीं। सन् 2007 में उन्हें उड़ीसा वि.स. के सर्वश्रेष्ठ विधायक पुरस्कार नीलकण्ठ पुरस्कार प्रदान क्या गया।2013 में वे भजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की सदस्य चुनी गयीं।सन् 2015 में वे झारखण्ड की राज्यपाल नियुक्त की गयीं। इस पद पर वह 2021 तक रहीं।
श्रीमती द्रोपदी मुर्मू बहुत ही साधारण जीवन बिताती हैं।इतने सार्वजनिक पदों पर रहते हुए भी उनकी कुल संपत्ति लगभग रु०10लाख है।
भारत में प्रथम बार किसी आदिवासी महिला को राष्ट्रपति चुने जाना उन लोगों का सम्मान है जो आज भी विकास की धारा से दूर है। इनके निर्वाचन से यह भी सिद्ध होता है कि देश के इस सर्वोच्च पद पर देश का कोई भी नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म का हो,किसी भी जाति का हो बिना भेद भाव के पहुँच सकता है। उन्हें देश के इस सर्वोच्च पद पर निर्वाचित होने की हार्दिक बधाई।