-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को जौलीग्रांट स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में चिकित्सा शिक्षा पर 13 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने कौशल व अनुरूपण उत्कृष्टता केंद्र का लोकार्पण भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन इन्स्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट, के संस्थापक स्वामी राम जी एक महान मानवतावादी, दार्शनिक, शिक्षक एवं श्रेष्ठ योगी थे। स्वास्थ्य देखभाल और आजीविका कौशल प्रदान करके इस पहाड़ी राज्य में अवसरों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से उन्होंने हिमालयन इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट की स्थापना की थी। उनका मत था कि मानव शरीर भगवान का मंदिर है और अपने साथी प्राणियों की निस्वार्थ सेवा करना ही प्रार्थना का सर्वोच्च रूप है। उनकी प्रेरणा से ही यह संस्थान देश को कई वर्षों से अपनी उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करता रहा है। आज हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान प्रदेश में चिकित्सा के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट योगदान दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और चिकित्सा के क्षेत्र में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। राज्य में निःशुल्क जांच योजना प्रारम्भ की है। जिसके तहत मरीजों को 207 प्रकार की पैथोलॉजिकल जांचों की निःशुल्क सुविधा दी जा रही है। आज प्रदेश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। प्रत्येक जिले में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। उत्तराखंड में आयुष्मान योजना के अन्तर्गंत 42 लाख 90 हजार से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक 5 लाख 83 हजार से अधिक मरीज मुफ्त में उपचार करा चुके हैं। इस कल्याणकारी योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के उपचार पर अब तक 1020 करोड़ खर्च किये जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड महामारी के दौरान आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व पर्यावरण मित्रों को पांच माह तक 2-2 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से उत्तराखंड रक्तदान में देश भर में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि योग्यता आधारित चिकित्सा पाठ्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना रहा है। अगर हमें आगे बढ़ना है तो अपने छात्रों को सही ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण से सज्जित करना होगा। यह आज के समय की मांग भी है। कोविड महामारी ने सिखाया है कि हम सभी को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। हमारे मेडिकल कॉलेज को नियमित शिक्षण के साथ-साथ ई-शिक्षण के लिए तैयार रहना चाहिए तथा ई-मॉड्यूल और टेलीमेडिसिन से सुसज्जित रहना चाहिए। ताकि आने वाले समय में हम हर प्रकार से चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट बनें रहें और भविष्य की समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे मेडिकल छात्र ही भविष्य के भारत में उत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का निर्धारण करेंगें। इसलिए चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर हमें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। रोगियों के कल्याण के लिए चिकित्सा शिक्षा से जुड़े छात्रों के कौशल और व्यवहार को परिष्कृत करने पर लगातार ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों से को चिकित्सा शिक्षा, ई-लर्निंग और सिमुलेशन लैब के लिए मजबूत मॉड्यूल विकसित करने हेतु आपस में सहयोग और समन्वय से कार्य करना होगा। उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में देश और दुनिया का नाम रोशन करें। इसके लिये सरकार हरसंभव सहयोग और सहायता प्रदान करेगी।
इस अवसर पर नीति आयोग दिल्ली के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल , स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विजय धस्माना , प्रतिकुलपति डॉ. विजेन्द्र चौहान, हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ. अशोक देवराड़ी, एसोसिएशन ऑफ हैल्थ प्रोफेशन एजुकेशन की अध्यक्ष डॉ. अंशु मौजूद थे।
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वित्तमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल एम्स ऋषिकेश में साक्ष्य आधारित चिकित्सा कार्यशाला में मुख्य अतिथि रहे।
एम्स ऋषिकेश में सेंटर फॉर एविडेंस सिन्थेसिस एंड पब्लिक पॉलिसी के तत्वावधान में साक्ष्य आधारित चिकित्सा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास और वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि साक्ष्य आधारित चिकित्सा अभ्यास के आधार पर हमारे चिकित्सक पर्याप्त अनुभव के साथ मरीजों का बेहतर इलाज कर सकेंगे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में बुधवार को आयोजित कार्यशाला में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन प्रैक्टिस के बारे में विस्तार से चर्चा की गई और चिकित्सा विज्ञान में इसकी उपयोगिता की बारीकियां समझाई गईं। एम्स ऋषिकेश में स्थापित सेंटर फॉर एविडेंस सिन्थेसिस एंड पब्लिक पॉलिसी के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला का आयोजन मेडिकल के छात्र-छात्राओं को लाभान्वित करने के उद्देश्य से किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि राज्य के शहरी विकास, वित्त व विधायी मंत्री डॉ. प्रेमचन्द अग्रवाल ने साक्ष्य आधारित चिकित्सा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इलाज के लिए बेहतर पद्धति बताया। उन्होंने कहा कि मेडिकल के छात्रों के लिए इस शिक्षा से उनका अनुभव और अधिक बढ़ेगा और चिकित्सा क्षेत्र में इसका लाभ सभी लोगों को मिलेगा। उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में एम्स ऋषिकेश को राज्य के लिए वरदान बताया और कहा कि कोविड के दौरान एम्स ने हजारों लोगों की जान बचाई है। एम्स द्वारा संचालित किए जा रहे अनुसंधान कार्यक्रमों से चिकित्सा क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां हासिल होंगी। उन्होंने कहा कि चिकित्सक के मृदुभाषी होने से मरीज का मनोबल बढ़ता है और रोगी व्यक्ति दवा के साथ-साथ डॉक्टर के व्यवहार से भी ठीक होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि प्रत्येक चिकित्सक रोगियों के साथ बात करते समय अपने व्यवहार में मधुरता अपनाएं।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डाॅ. मीनू सिंह ने कार्यक्रम को मेडिकल के छात्रों के लिए बहुउपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए एम्स ऋषिकेश में सेंटर फॉर एविडेंस सिन्थेसिस एंड पब्लिक पॉलिसी का एक विशेष केन्द्र स्थापित किया गया है। इससे मेडिकल के छात्रों को चिकित्सा क्षेत्र में होने वाले नए शोधों की जानकारी हासिल करने के साथ-साथ साक्ष्य आधारित चिकित्सा पद्धति को सीखने का भी अवसर प्राप्त होगा। इसके अलावा उन्हें मेडिसिन के सही उपयोग के बारे में भी गहन जानकारी प्राप्त होगी। डीन एकेडेमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि साक्ष्य आधारित चिकित्सा वह पद्धति है, जो अच्छी तरह से सम्पन्न किए गए अनुसंधानों से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इलाज का निर्णय लेती है।
कार्यक्रम को कार्यशाला की आयोजन सचिव डॉ. भावना गुप्ता, सीएफएम विभाग के डॉ. अजीत सिंह भदौरिया सहित कई अन्य फैकल्टी सदस्यों ने भी संबोधित किया। संस्थान के सीनियर लाईब्रेरियन संदीप कुमार सिंह के संचालन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल, डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सैना, डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. प्रतीक पाण्डा, डॉ. मोहित धींगरा, वित्तीय सलाहकार ले.कर्नल डब्लू.एस. सिद्वार्थ, रजिस्ट्रार राजीव चौधरी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत जी, विधि अधिकारी प्रदीप कुमार पाण्डेय, संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल, एलजेबियर प्रकाशन समूह की डॉ. ईशिमा और बीएमजे प्रकाशन की पूजा नायर समेत बड़ी संख्या में मेडिकल के स्टूडेंट्स व इन्टर्न शामिल थे।