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राजभवन देहरादून/नई दिल्ली 08 फरवरी, 2024:- राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरुवार को नई दिल्ली में एसआईए-इंडिया द्वारा आयोजित डीईएफएसएटी DefSAT 2024 कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि निश्चित रूप से रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का भविष्य उज्ज्वल होने के साथ-साथ आशा और आकांक्षाओं से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि 1975 में हमारे पहले उपग्रह आर्यभट्ट से लेकर हमारे सबसे नवीन मिशन आदित्य एल1 तक, जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला मिशन था, इनसे हमारे देश ने साबित कर दिया है कि हम वास्तव में सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हैं।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तत्वावधान में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिससे देश अंतरिक्ष अन्वेषण में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित हुआ है। मार्स ऑर्बिटर मिशन, जिसे मंगलयान के नाम से भी जाना जाता है सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है। 2013 में लॉन्च किए गए मंगलयान ने भारत को मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश और अपने पहले ही प्रयास में ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना है। इस उपलब्धि ने न केवल भारत की तकनीकी शक्ति बल्कि मितव्ययी बजट पर अंतरिक्ष अन्वेषण हासिल करने की क्षमता को भी प्रदर्शित किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष और रक्षा मिशन कई सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे-जैसे हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, भारत हर क्षेत्र में प्रगति करने के साथ-साथ अपने लिए तय किए लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है। रक्षा क्षेत्र में उपग्रहों के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है, विशेषकर जब भारत अपनी सीमाओं पर बढ़ते तनाव का सामना कर रहा है। यह खुफिया जानकारी, निगरानी और संचार में अद्वितीय सहायता प्रदान करते हैं। सैन्य उपग्रह, संचार और अनुप्रयोग-आधारित प्रणालियों का अभिन्न अंग, रणनीतिक योजना के आवश्यक घटक हैं।
उन्होंने कहा कि जैसे ही हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, हम रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने राष्ट्र के लिए बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए दूरदर्शिता, नवाचार और समर्पण के साथ नेतृत्व करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहरा रहे हैं। हाल ही में भारत ने अपनी स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने देश के भीतर महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों के उत्पादन को बढ़ावा दिया है। हमने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम की है और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है। यह कदम न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है बल्कि देश के आर्थिक और रक्षा ढांचे को भी मजबूत करता है। राज्यपाल ने इस अभूतपूर्व आयोजन के लिए एसआईए-इंडिया और सहयोगी रक्षा थिंक-टैंक की सराहना की।