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राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राजभवन में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग एवं इसके दुष्प्रभावों के सम्बन्ध में जागरूकता हेतु ‘प्लास्टिक से जंग’ कार्यशाला में प्रतिभाग किया।
बुधवार को राजभवन में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग एवं इसके दुष्प्रभावों के सम्बन्ध में जागरूकता हेतु ‘प्लास्टिक से जंग’ कार्यशाला का आयोजन हुआ। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने इस कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए स्वच्छता अभियान में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वेस्ट वॉरियर और प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन में सराहनीय प्रयास करने वाली संस्थाओं को सम्मानित किया। इस कार्यशाला में पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक वेस्ट पर आधारित स्टॉल भी लगाए गए थे जिसका राज्यपाल ने अवलोकन किया।
कार्यशाला में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राजभवन से पूरे उत्तराखण्ड और हिमालय को स्वच्छ, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल रखने के लिए एक जंग की शुरूआत की है। इस जंग में प्लास्टिक एक बड़े शत्रु के रूप में हम सभी के सम्मुख है जिसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनूरूप एक योद्धा की भूमिका निभानी होगी।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में दुनिया भर के पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यावरण अनुकूल वातावरण और यहां के पर्यटन स्थलों को देखने आते हैं। कई जगहों में प्लास्टिक कचरे को देखकर यहां की नकारात्मक छवि लेकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज हर ओर प्लास्टिक कचरा देखने को मिलता है जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। राज्यपाल ने कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इस जंग के खिलाफ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें।
राज्यपाल ने कहा कि प्लास्टिक मुक्त प्रदेश के लिए हमें स्थायी और दीर्घकालिक समाधान खोजने होंगे। उत्तराखण्ड राज्य को सुंदर और प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए हमें संवेदनशील होने की जरूरत है जो स्वच्छ भारत अभियान की परिकल्पना को साकार करेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि प्लास्टिक के विरूद्ध अभियान में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। राज्यपाल ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर अनेक प्रयास भी किए जा रहे हैं, पर वे प्रयास नाकाफी हैं। नए सिरे से प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करने पर विचार करना आवश्यक है। हमें नई सोच और नए समाधान से आगे बढ़ना होगा।
कार्यशाला में उपस्थित कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के कम से कम उपयोग की शुरूआत हमें अपने घर से करनी होगी। अपने बच्चों को प्लास्टिक का उपयोग न करने और उनके पाठ्यक्रम में प्लास्टिक के दुष्प्रभावों की जानकारी अवश्य दी जानी चाहिए।
इंटरनेशनल फोरम फार एनवायरमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी के सीईओ चंद्र भूषण ने कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में सिंगल यूज प्लास्टिक के पर्यावरण अनुकूल विकल्पों के बारे में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक को पूर्णतः समाप्त करने के लिए सबसे पहले प्लास्टिक उत्पादों के स्थायी विकल्प भी खोजे जाने जरूरी हैं। कहा कि जैविक एवं अजैविक कूड़े को अलग-अलग किये जाने को अपनी आदतों में शामिल करना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ दण्डात्मक कार्यवाही अवश्य की जानी चाहिए।
उत्तराखण्ड में प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन एवं चुनौतियां विषय पर अपर निदेशक शहरी विकास विभाग अशोक कुमार कुमार पाण्डेय, रिसाईकल्स संस्थान से ऋषभ भसीन, बैनी सेना हल्द्वानी से श्रीमती नीमा बिष्ट, परफैटी वान माले, रूद्रपुर से विवेक गर्ग और श्री अनूप नौटियाल ने अपने-अपने विचार रखे।
प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण आर. के. सुधांशु ने इस कार्यशाला के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर मेयर हल्द्वानी डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला, मेयर ऋषिकेश अनिता ममगाई, मेयर काशीपुर डॉ. ऊषा चौधरी, सचिव श्री राज्यपाल रविनाथ रामन, अपर सचिव स्वाति एस. भदौरिया, निदेशक शहरी विकास नितिन सिंह भदौरिया, सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सुशांत पटनायक, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान, अपर निदेशक शहरी विकास अशोक कुमार पांडे, वित्त नियंत्रक तृप्ति श्रीवास्तव सहित प्रदेश के नगर निकायों के अधिकारी और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधिगण मौजूद रहे।