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लिंगानुपात संतुलन पर कार्यशाला व 21 स्थानों पर सास-बहु-पति सम्मेलनों का हुआ आयोजन
रुद्रप्रयाग 07 मार्च 2024:- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में जनपद में 21 आयुष्मान आरोग्य मंदिर में आयोजित सास-बहू-पति सम्मेलनों में महिला स्वास्थ्य व पोषण से जुड़े मसलों पर विशेष चर्चा की गई। वहीं, लिंगानुपात जागरूकता पर आयोजित कार्यशाला में लिंगानुपात संतुलन की दिशा में सरकारी प्रयासों को साकार करने के लिए सामाजिक स्तर पर जागरूकता बढाने पर जोर दिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. एचसीएस मर्तोलिया के निर्देशन में पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम के अंतर्गत घटते लिंगानुपात विषय पर तीनों ब्लाकों के ब्लाक समन्वयक व आशा फेसिलिटेटर की कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रतिभागियों को लैंगिक असमानताओं व लिंग आधारित चुनौतियों के खात्में के खिलाफ जागरूकता व अन्य गतिविधियों को और अधिक प्रभावी तरीके से चलाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि घटते लिंगानुपात को कम करने उद्देश्य से गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत प्रसव पूर्व एवं गर्भस्थ शिशु के लिंग चयन प्रक्रिया को निषेध कर दिया गया है, भू्रण के लिंग परीक्षण के लिए गर्भवती महिला को प्रेरित करना व दबाव डालना, लिंग जांच में सहयोगी बनना, लिंग जांच करना या करवाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। उन्होने बताया कि इस अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर पांच वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुमार्ना या दोनों वहीं चिकित्सक के लिए 5 वर्ष की कैद, अर्थदंड व पंजीकरण रद्द करने का प्रावधान है।
इसके अलावा परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत 21 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में सीएचओ द्वारा सास-बहु-पति सम्मेलन का आयोजन किया गया। अगस्त्यमुनि ब्लाक के चंद्रनगर, भीरी, कंडारा, उच्चाढुंगी, पठालीधार, कुरझण, जखोली ब्लाक के अंतर्गत सुमाड़ी, कंडाली, पांडवथली, जाखाल, जवाड़ी, तुनेटा, घेंघड़खाल तथा ऊखीमठ ब्लाक के अंतर्गत मनसूना, परकंडी, पलद्ववाड़ी, लंबगौंडी, रांसी, चैंडी, फाटा व रामपुर में आयोजित सास-बहु-पलि सम्मेलनों में महिला महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण पर विशेष चर्चा की गई। साथ ही परिवार नियोजन के साधन व उपाय व विभिन्न सेवाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। वहीं, लिंगानुपात संतुलन के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक कारकों के प्रति जनमानस को जागरूक करने, स्वस्थ्य समाज के लिए लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए सामाजिक जागरूकता की वकालत की गई।