विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतुभूषण ने अवैध भर्तियों केो निरस्त कर इतिहास रच दिया।
-नागेन्द्र प्रसाद रतूड़ी(स्वतंत्र पत्रकार)
इसी माह के प्रारम्भ में समाचार पत्रों में छपे मेरे एक लेख जिसका शीर्षक था ‘कड़क बाप की बेटी का कड़क फैसला’ पर कुछ पाठकों ने यह कह कर नाराजगी जताई कि यह सब लीपा पोती के लिए हो रही है। होगा कुछ नहीं।जिसपर मैंने उन्हें जबाब दिया था कि विधान सभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतुभूषण खण्डूड़ी अभी नयी-नयी विधानसभा अध्यक्ष बनी हैं।उनको रिपोर्ट आने तक का समय तो देना चाहिए ।रिपोर्ट आने पर उन्होंने अवैध नियुक्तियां न हटायीं तो उनके विरुद्ध भी लिखा जाएगा।खैर पाठक को संतोष हुआ या नहीं कहा नहीं जा सकता पर आज विधान सभाध्यक्ष ने साबित कर दिया वे कड़क बाप की कड़क बेटी हैं।
विधान सभा में अवैध नियुक्तियों की जाँच समिति ने अपना कार्य बहुत कुशलता,ईमानदारी व त्वरित गति से किया।समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करने बाद अध्यक्ष ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि जांच समिति ने सन् 2016 तक के 150 पदों पर की गयी भर्तियों को, सन् 2020 में की गयी 06 पदों की भर्तियों को,सन् 2021 में की गयी 72 पदों की भर्तियों को नियमविरुद्ध माना है जिन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। चूँकि इन भर्तियों को शासन का अनुमोदन मिल गया था इसलिए प्रकरण को शासन को भेजा जा रहा है।
विधानसभाध्यक्ष ने आगे बताया कि उपनल द्वारा की गयी 22पदों की भर्तियों को भी निरस्त कर दिया गया है।साथ ही विधानसभा के 32पदों पर भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश की आर.एम.एस. टेक्नोसोल्यूशन्स कंपनी को अनुबंधित किया गया था कंपनी को यूके एसएसएससी भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में लिप्त पाये जाने के कारण उक्त भर्ती परीक्षा को भी निरस्त कर दिया गया।उन्होंने कहा कि शासन द्वारा 06फरवरी 2003 में एक शासनादेश जारी किया गया था कि समूह ग व घ के पदों पर तदर्थ व संविदा आदि द्वारा भर्ती न किया जाय।इसके बाद भी यह भर्तियां की गयी हैं जो कि नियमानुसार नहीं हैं।2012 से पूर्व की भर्तियां स्थाई हो गयी हैं इसलिए उनकी जाँच नहीं करायी गयी
श्रीमती ऋतु भूषण या यह फैसला लेना आसान नहीं था अपने ही पूर्ववर्ती अध्यक्ष के लिए फैसले को निरस्त कर उन्होंने जो फैसले लिया है उससे यह साबित हो गया है कि वे कड़क फैसले लेने के लिए प्रसिद्ध पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री श्री भुवनचन्द्र खण्डूड़ी की सुपुत्री हैं। अपने पिता की तरह ही कड़क फैसला ले कर यह बता दिया कि वे अपने पिता की सच्ची उत्तराधिकारी हैं।उनका एक बड़ा फैसला विधान सभा सचिव मुकुल सिंहल के विरुद्ध जाँच की घोषणा करना व उनको जाँच होने तक निलंबित करना है।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या पूर्व विधानसभाध्यक्ष व वर्तमान वित्त मंत्री श्री प्रेमचन्द अग्रवाल नैतिकता के आधार परअपने वर्तमान पद से अपना त्यागपत्र देंगे?पर लगता है कि आज के नेताओं में त्यागपत्र देने का साहस ही नहीं बचा है।ऐसे में मुख्यमंत्री अपने साथी मंत्री को पद से हटाते हैं या नहीं यह उनके विदेश से लौटने पर ही पता लग पाएगा।